अल्मोड़ा । प्रदेश (उत्तराखंड) में समय पर नगर पालिका (Municipality) एवं नगर निगम के चुनाव न होने से जहां कांग्रेस को बैठे बिठाए मुद्दा मिल गया है वहीं अल्मोड़ा में नगर पालिका की सीमा विस्तार की चर्चा को कांग्रेस के विधायक ने लपक लिया है। शासन स्तर पर नगर पालिका सीमा विस्तार की सुगबुगाहट के बीच नगर से लगे हुए ग्रामीण आंदोलन के लिए तैयार हैं। अल्मोड़ा नगर पालिका परिषद क्षेत्र के आस – पास के गाँव सरसों, बख व अन्य कई गाँवों को इस विस्तार नीति में लाने की बात चल रही है। ग्रामीणों का कहना है वह किसी भी कीमत पर पालिका में शामिल नहीं होंगे। अब कांग्रेस के विधायक मनोज तिवारी भी ग्रामीणों के पक्ष में आ गए हैं। यहां पत्रकार वार्ता में मनोज तिवारी ने ऐलान किया वह ग्रामीणों के साथ खड़े हैं। लोकतंत्र तानाशाही से नहीं चलता। जो लोग नगर पालिका में शामिल होने के इच्छुक नहीं हैं उनको जबरन शामिल नहीं किया जा सकता। विधायक मनोज तिवारी ने कहा प्रदेश की सरकार राजनीतिक षडयंत्र रच रही है जहां 6 महीने में चुनाव होने थे वहां 8 महिने में भी चुनाव नहीं हुए हैं। अब सरकार नगर निगम बनाने की बात कह रही है। जब तक ग्रामीण इस बात पर अपनी सहमती नहीं जताते तब तक कोई भी गांव नगर पालिका में शामिल नहीं करने दिया जाएगा। वह ग्रामीणों के साथ खड़े हैं। जनता की भावना के साथ खिलवाड़ होगा तो वह इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।
नगर निगम बनाए जाने की शर्तें
- भारत के उत्तराखंड राज्य में नगर निगम बनाए जाने की शर्तें भारतीय संविधान और राज्य सरकार के नगर पालिका अधिनियमों के तहत निर्धारित की जाती हैं। उत्तराखंड नगर निगम की स्थापना के लिए प्रमुख शर्तें निम्नलिखित हो सकती हैं:
1. जनसंख्या:
नगर निगम बनाए जाने के लिए आवश्यक जनसंख्या का मानक राज्य द्वारा निर्धारित किया जाता है।
2. आय के स्रोत:
नगर निगम के पास पर्याप्त आय के स्रोत होने चाहिए ताकि वह शहर के प्रबंधन और विकास कार्यों को प्रभावी तरीके से संभाल सके।
3. शहरीकरण स्तर:
शहर का शहरीकरण स्तर भी नगर निगम बनाए जाने के लिए महत्वपूर्ण होता है। इसमें शहर की सड़कें, सफाई व्यवस्था, सार्वजनिक परिवहन, और अन्य नागरिक सुविधाओं की स्थिति शामिल होती है।
4. प्रशासनिक क्षमता:
शहर की प्रशासनिक क्षमता और स्थानीय प्रशासन की प्रभावशीलता भी एक महत्वपूर्ण कारक होती है।
5. भौगोलिक क्षेत्रफल:
नगर निगम बनने के लिए शहर का भौगोलिक क्षेत्रफल भी ध्यान में रखा जाता है ताकि नगर निगम की सीमाओं का सही से निर्धारण किया जा सके।
उत्तराखंड सरकार और संबंधित नगर विकास विभाग इन शर्तों का आकलन करते हैं और इसके बाद नगर निगम के गठन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हैं।
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जनसंख्या एक महत्वपूर्ण कारक है, लेकिन नगर निगम बनाने के निर्णय में अन्य कारक भी शामिल होते हैं। यहाँ कुछ संभावित कारण दिए जा रहे हैं:
1. विकास की आवश्यकता:
क्षेत्र में तेजी से हो रहे विकास और शहरीकरण को ध्यान में रखते हुए नगर निगम का गठन किया जा सकता है।
2. आर्थिक विकास:
शहर में व्यापारिक गतिविधियों और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए नगर निगम का गठन किया जा सकता है।
3. प्रशासनिक सुविधा:
शहर की बेहतर प्रशासनिक सुविधा और नागरिक सेवाओं को सुधारने के लिए नगर निगम का गठन किया जा सकता है।
4. सामाजिक और बुनियादी ढांचे की आवश्यकता:
शहर में बेहतर बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा सुविधाओं, और सार्वजनिक परिवहन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए नगर निगम का गठन हो सकता है।
5. राजनीतिक और रणनीतिक कारण:
कभी-कभी राजनीतिक और रणनीतिक कारणों से भी शहर को नगर निगम का दर्जा दिया जाता है।
विशेष अधिनियम या निर्णय:
कभी-कभी राज्य सरकारें विशेष अधिनियम या निर्णय के तहत नगर निगम घोषित कर सकती हैं, जिसमें जनसंख्या सीमा को थोड़ी लचीलता के साथ देखा जा सकता है।