चौखुटिया: अल्मोड़ा ज़िले के चौखुटिया क्षेत्र से एक ऐसी खबर सामने आई है, जो महिला उत्पीड़न और हिम्मत की कहानी को एक साथ बयां करती है। ग्राम छानी, पोस्ट मासी की रहने वाली रीता देवी नाम की विवाहिता ने पति द्वारा लगातार की जा रही मारपीट और प्रताड़ना से तंग आकर आखिरकार पुलिस का दरवाजा खटखटाया। करीब 21 साल से झेल रही इस मानसिक और शारीरिक हिंसा के खिलाफ रीता ने साहस दिखाते हुए कोतवाली चौखुटिया में पति के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई है।रीता देवी ने अपनी तहरीर में बताया कि उसका विवाह लगभग 21 वर्ष पूर्व ललित जोशी निवासी ग्राम छानी से हुआ था।
शादी के शुरुआती दिनों के बाद ही पति का बर्ताव बदलने लगा। ललित शराब पीकर रीता के साथ आए दिन गाली-गलौज और मारपीट करता था। रीता के मुताबिक, पति अक्सर नशे की हालत में उसे जान से मारने की धमकी देता था, जिससे वह कई वर्षों तक भय में जीती रही।पति की रोजाना प्रताड़ना से परेशान होकर रीता देवी ने कुछ समय पहले गांव छोड़ दिया था। वह अब ग्राम पंचायत भगोती में किराये के मकान में रह रही है और वहां से अपने जीवन को फिर से संवारने की कोशिश कर रही है। रीता ने बताया कि उसका पति पहले भी उनकी बेटी बीना जोशी पर हमला कर चुका है, जिससे वह घायल हो गई थी। इतना ही नहीं, एक बार उसने शराब के नशे में रीता के सिर पर भी वार किया था।
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पुलिस के अनुसार, पीड़िता की तहरीर पर संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। चौखुटिया कोतवाली के प्रभारी ने कहा कि महिला की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है और आरोपी के खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी।यह घटना इस बात का प्रमाण है कि आज भी हमारे समाज के कई हिस्सों में महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार बन रही हैं। लेकिन रीता देवी की हिम्मत कई महिलाओं के लिए मिसाल है। उन्होंने साबित कर दिया कि अत्याचार और सहनशीलता की भी एक सीमा होती है। ग्रामीण समाज में घरेलू हिंसा को अक्सर परिवार की “आंतरिक बात” कहकर दबा दिया जाता है। कई महिलाएं सामाजिक तानों, आर्थिक निर्भरता और बच्चों की खातिर चुप रह जाती हैं। परंतु रीता देवी का कदम इस सोच को तोड़ता है।
यह संदेश देता है कि उत्पीड़न की स्थिति में महिलाओं को कानून और समाज पर भरोसा रखकर आगे आना चाहिए।नारी सशक्तिकरण के प्रयासों के बावजूद जब ऐसी घटनाएं सामने आती हैं तो यह समाज के लिए आत्ममंथन का समय भी लाती हैं। जरुरत है कि पंचायत स्तर से लेकर प्रशासनिक तंत्र तक, पीड़ित महिलाओं को तुरंत सहायता और कानूनी सुरक्षा मिले। साथ ही, ऐसे मामलों में सोशल वर्कर और महिला हेल्पलाइन की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित हो।रीता देवी की कहानी केवल एक महिला की नहीं, बल्कि उन हजारों महिलाओं की आवाज़ है जो अपने घर की चारदीवारी में अत्याचार झेलती हैं लेकिन समाज के डर से खामोश रहती हैं। चौखुटिया की इस महिला ने साबित कर दिया कि हिम्मत से बड़ा कोई हथियार नहीं होता। पुलिस में दर्ज यह रिपोर्ट न केवल उसके लिए न्याय की राह खोलेगी बल्कि अन्य महिलाओं के लिए भी उम्मीद की किरण बनेगी।
