देहरादून: दूसरे राज्यों से विवाह कर उत्तराखंड आई बेटियों को मतदाता सूची में अपना नाम बनाए रखने के लिए अब मायके से दस्तावेज लाने होंगे। राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट की संशोधन प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। इस बार चुनाव आयोग की नजर खासतौर पर उन महिला मतदाताओं पर है, जिनका नाम विवाह के बाद पते के परिवर्तन के कारण कट गया है या वे नए क्षेत्र में अपना वोट बनवाना चाहती हैं।आयोग के अनुसार, मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) दिसंबर के अंत या जनवरी की शुरुआत में शुरू किया जाएगा।
इस प्रक्रिया के तहत नागरिक अपने नाम, पता, आयु या अन्य विवरणों में सुधार करा सकेंगे। विशेष बात यह है कि उत्तराखंड की वोटर लिस्ट अभी ‘फ्रीज’ नहीं हुई है, इसलिए फिलहाल नाम जोड़ने और संशोधन करवाने का मौका मौजूद है।मतदाता सूची पुनरीक्षण के लिए मतदाता पहचान पत्र (EPIC), आधार कार्ड, जन्म प्रमाणपत्र, निवास प्रमाणपत्र और विवाह प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज आवश्यक होंगे। लेकिन जिन महिलाओं का विवाह दूसरे राज्य से हुआ है, उन्हें अपने मायके के पते का प्रमाण पत्र या पहले दर्ज मतदाता पहचान की जानकारी प्रस्तुत करनी होगी। यह प्रक्रिया इसलिए अनिवार्य की जा रही है ताकि एक व्यक्ति का नाम दो अलग-अलग राज्यों की मतदाता सूचियों में दर्ज न हो।राज्य निर्वाचन विभाग के अनुसार, इस बार मतदाता सूची में पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा।
बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी एकत्र करेंगे और पात्र नागरिकों को नाम जुड़वाने के लिए फार्म-6 वितरित करेंगे। वहीं, मृतक या स्थानांतरित हो चुके मतदाताओं के नाम कटवाने के लिए फार्म-7 की सुविधा दी जाएगी।चुनाव अधिकारियों का कहना है कि डिजिटल माध्यम से भी मतदाता अपना नाम जोड़ या संशोधित कर सकेंगे। इसके लिए राष्ट्रीय मतदाता सेवा पोर्टल http://(www.nvsp.in)और वोटर हेल्पलाइन मोबाइल ऐप का उपयोग किया जा सकता है।सूत्र बताते हैं कि 1 जनवरी 2026 को मतदाता सूची के लिए आधार तिथि माना जाएगा। उसी तिथि को 18 वर्ष या उससे अधिक आयु पूरी करने वाले नागरिकों का नाम सूची में जोड़ा जाएगा। साथ ही, जनवरी के अंत तक मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन होने की संभावना है।विशेषज्ञों का कहना है कि विवाह के बाद स्थान बदले वाली महिलाओं के दस्तावेजों को लेकर अधिकांश क्षेत्रों में भ्रम की स्थिति रहती है।
ऐसे में आयोग का यह निर्देश स्थिति को स्पष्ट करने वाला कदम कहा जा सकता है। इससे एक ओर जहां मतदाता सूची अधिक सटीक बनेगी, वहीं पात्र नागरिकों को मतदान का अधिकार बनाए रखने में सुविधा भी मिलेगी।आगामी महीनों में राजनीतिक दलों की गतिविधियां बढ़ेंगी, ऐसे में मतदाता सूची की यह तैयारी चुनावी दृष्टि से बेहद अहम मानी जा रही है। निर्वाचन विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे समय रहते अपने दस्तावेज पूरे करें और वोटर लिस्ट में नाम की पुष्टि करें, ताकि मतदान के समय किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
किन दस्तावेजों की आवश्यकता होगी?
दूसरे राज्यों से उत्तराखंड आईं महिलाओं को दो स्थितियों के आधार पर दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे—
यदि 2003 में उनका नाम मायके की मतदाता सूची में शामिल था,
— उस सूची की प्रति या उससे संबंधित प्रमाण एसआईआर फॉर्म के साथ संलग्न करना होगा।
यदि 2003 में उनका नाम मतदाता सूची में नहीं था,
— उनके माता-पिता जिस राज्य के मतदाता थे, उस राज्य की 2003 की मतदाता सूची का विवरण प्रस्तुत करना होगा।
निर्वाचन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, ये दस्तावेज परिवार की पहले दर्ज मतदान पात्रता का प्रमाण देंगे, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि नया नामांकन किसी प्रकार की दोहरी प्रविष्टि का कारण न बने।
एसआईआर प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य
चुनाव आयोग का यह विशेष गहन पुनरीक्षण राज्य की मतदाता सूची को अधिक पारदर्शी, सटीक और त्रुटिरहित बनाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इसके प्रमुख लक्ष्य हैं—
- मतदाता सूची की शुद्धता और अद्यतनता सुनिश्चित करना
- दोहरी प्रविष्टियों और फर्जी मतदान की संभावनाओं को रोकना
- अन्य राज्यों से स्थानांतरित मतदाताओं के दस्तावेजों का सटीक सत्यापन करना
यह व्यापक सत्यापन प्रक्रिया दिसंबर या जनवरी में शुरू होने की संभावना है। निर्वाचन विभाग ने मतदाताओं से अपील की है कि वे 2003 की वोटर लिस्ट से संबंधित आवश्यक दस्तावेज समय पर जुटा लें, ताकि उनका नाम मतदाता सूची में सुरक्षित रहे और एसआईआर के दौरान किसी भी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े। यह कदम राज्य में निर्वाचन पारदर्शिता को मजबूत करने की दिशा में एक अहम और ऐतिहासिक पहल मानी जा रही है।
