देहरादून: राजधानी के अधिवक्ता लगातार सरकार और प्रशासन से ठोस निर्णय की मांग को लेकर आंदोलन पर उतर आए हैं। बीते कई दिनों से जारी आंशिक हड़ताल अब धीरे-धीरे व्यापक रूप लेती जा रही है। हर रोज हड़ताल के समय में आधा घंटा बढ़ोतरी कर अधिवक्ताओं ने साफ कर दिया है कि अब केवल आश्वासन से बात नहीं बनेगी। जब तक उनकी मांगों पर ठोस कार्यवाही नहीं होती, आंदोलन जारी रहेगा।सोमवार को अधिवक्ताओं ने तय समय से आधा घंटा बढ़ाते हुए दोपहर तीन बजे तक कामकाज ठप रखा। बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बताया कि मंगलवार से हड़ताल साढ़े तीन बजे तक जारी रहेगी और यह क्रम तब तक चलता रहेगा जब तक सरकार उनकी मांगें नहीं मान लेती। अधिवक्ताओं का कहना है कि सरकार ने बार-बार आश्वासन देकर उन्हें गुमराह किया है, जबकि वास्तविक समस्याओं पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया।
अधिवक्ता समुदाय का कहना है कि उनकी वर्षों पुरानी मांगे अब भी लटकी पड़ी हैं। इनमें सुरक्षा, भत्तों का प्रावधान, अधिवक्ता कल्याण कोष की वृद्धि, स्थायी भवन की सुविधा, और न्यायिक प्रक्रिया में सुधार से जुड़ी प्रमुख मांगें शामिल हैं। लंबे समय से इन मुद्दों पर सरकार द्वारा केवल बैठकें और पत्राचार होते रहे हैं, लेकिन नीतिगत निर्णय के स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इसी के चलते अधिवक्ता अब आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। देहरादून बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने बताया कि यदि इस बार सरकार ने प्रभावी निर्णय नहीं लिया, तो आने वाले दिनों में अधिवक्ता सिर्फ आधे दिन नहीं बल्कि पूरे दिन हड़ताल पर रहेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगला कदम रजिस्ट्रार कार्यालयों को बंद कराना होगा, जिससे न्यायिक कार्य पूरी तरह प्रभावित हो सकता है।इसी बीच आम लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
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अधिवक्ताओं की हड़ताल के कारण सरकारी और निजी स्तर पर जरूरी दस्तावेजों के सत्यापन, रजिस्ट्रेशन और अन्य कानूनी कार्य रुक गए हैं। इससे नागरिकों को अदालतों और कार्यालयों में बार-बार चक्कर काटने पड़ रहे हैं।कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं का कहना है कि सरकार को अब इस आंदोलन को गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि न्यायिक व्यवस्था में अधिवक्ता महत्वपूर्ण कड़ी हैं। यदि वे असंतुष्ट रहेंगे तो न्याय प्रक्रिया ठप हो सकती है, जिससे आम जनता के अधिकारों पर भी असर पड़ेगा।फिलहाल स्थिति यह है कि अधिवक्ता हर दिन अपने विरोध को तेज करते जा रहे हैं।
मंगलवार को साढ़े तीन बजे तक हड़ताल रहेगी, उसके बाद समय धीरे-धीरे बढ़ाते हुए इसे पूर्ण कार्य बहिष्कार में बदला जाएगा। बार परिषद की अगली बैठक में आगे की रणनीति तय की जाएगी।यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार कब तक इस आंदोलन को नजरअंदाज करती है या क्या मानी जाएगी अधिवक्ताओं की मांगें। फिलहाल देहरादून की अदालतों और रजिस्ट्रार कार्यालयों में सन्नाटा पसरा है, और न्याय से जुड़े कार्य ठप हैं।
