चौखुटिया: अल्मोड़ा जनपद के चौखुटिया क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग को लेकर शुरू हुआ ‘ऑपरेशन स्वास्थ्य आंदोलन’ अब संघर्ष और धैर्य की मिसाल बन चुका है। आंदोलन को आज एक माह पूरा हो चुका है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर अब तक कोई ठोस कदम या समाधान सामने नहीं आया। इसके बावजूद आंदोलनकारियों की प्रतिबद्धता और जनसमर्थन लगातार बढ़ रहा है।
शनिवार को आंदोलन स्थल पर पवन सिंह मेहरा अपने आमरण अनशन के आठवें दिन में पहुंचे, जबकि संदीप किरौला का यह तीसरा दिन रहा। इनके साथ क्रमिक अनशन में गीता कठायत, राधा रावत, हीरा देवी, कलावती देवी, भगवत सिंह, गजेन्द्र सिंह, देवकीनंदन उपाध्याय, बचे सिंह और कुंवर सिंह डटे रहे। इन सभी का कहना है कि जब तक चौखुटिया तहसील मुख्यालय में पर्याप्त चिकित्सक, दवाइयां और जांच सुविधाएं बहाल नहीं होतीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
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चौखुटिया में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति लंबे समय से दयनीय बताई जा रही है। स्थानीय लोग बताते हैं कि प्रखंड क्षेत्र के अधिकांश ग्रामीणों को साधारण उपचार के लिए भी अल्मोड़ा या रानीखेत का रुख करना पड़ता है। कई बार गंभीर मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं, क्योंकि न तो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उपकरण हैं और न ही विशेषज्ञ चिकित्सक। इसी दर्द ने इस जनआंदोलन को जन्म दिया।
आंदोलनकारियों का कहना है कि सरकार ने बार-बार आश्वासन तो दिए, पर वास्तविक सुविधाएं जमीन पर आज भी लापता हैं। एक माह लंबा यह आंदोलन अब चौखुटिया की जनता के लिए आत्मसम्मान का प्रतीक बन गया है। स्थानीय व्यापारी, महिलाएं, युवा और बुजुर्ग सभी इस मुहिम के साथ खड़े हैं। रोजाना सैकड़ों लोग अनशन स्थल पहुंचकर समर्थन जताते हैं। बावजूद इसके, प्रशासनिक पक्ष से अब तक ठोस पहल न होना निराशा जनक है। लोगों की मांग है कि जिलाधिकारी व स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी तुरन्त स्थल का दौरा करें और स्थायी समाधान की दिशा में ठोस योजना बनाएं।
गांव-गांव से मिल रहे समर्थन ने इस आंदोलन को अब जनअभियान का स्वरूप दे दिया है। चौखुटिया के युवाओं का कहना है कि यह केवल स्वास्थ्य की लड़ाई नहीं, बल्कि अपने अधिकारों की आवाज है। सभी एक सुर में यह संदेश दे रहे हैं कि जनस्वास्थ्य पर कोई समझौता नहीं होगा। एक माह से अधिक समय तक चल रहे इस शांतिपूर्ण आंदोलन ने साबित कर दिया है कि अगर जनता एकजुट हो, तो उसकी आवाज को अनसुना नहीं किया जा सकता है।
