स्पोर्ट्स डेस्क: भारत की बेटियां महिला वनडे विश्वकप 2025 की चैंपियन बनकर इतिहास रच चुकी हैं। इस सफर की तीन मैचों की खासियत और उन्होंने जो संकल्प और खेल दिखाया, उसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। पहला वह मुकाबला जो भारत के लिए ‘बुलंदी की उड़ान’ की शुरुआत था, जहां हार का सामना होता तो टीम टूर्नामेंट से बाहर हो जाती। दूसरा सेमीफाइनल था, जिसमें भारत ने सात बार की विश्व विजेता ऑस्ट्रेलिया को एक यादगार संघर्ष के बाद हरा दिया। और अंत में फाइनल जो भारत की पहली महिला वनडे विश्वकप ट्रॉफी लेकर आया। नीचे तीनों मैचों की महत्वपूर्ण और दिलचस्प कहानी प्रस्तुत है।
पहला मैच: टूर्नामेंट की कड़ी चुनौती
टूर्नामेंट में भारत की शुरुआत आसान नहीं थी। शुरुआती मैच में भारत को ऐसी स्थिति में फंसा देना था कि एक हार से टीम बाहर हो जाती। भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने उस मैच में कठोर संघर्ष किया। टीम ने न केवल हार से बचाव किया, बल्कि आत्मविश्वास और खेल के स्तर में सुधार की दिशा भी दिखाया। यह मुकाबला चुनौतीपूर्ण था क्योंकि दबाव की स्थिति में खेलना आसान नहीं होता, लेकिन इस मैच में टीम ने साथ निभाया और टूर्नामेंट में बने रहने का प्रण लिया।
सेमीफाइनल: ऑस्ट्रेलिया को हराने की महाकाव्य लड़ाई
30 अक्टूबर 2025 को खेले गए सेमीफाइनल मुकाबले में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 5 विकेट से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। यह मैच कई मायनों में ऐतिहासिक रहा क्योंकि भारत ने महिला वनडे क्रिकेट में अब तक का सबसे बड़ा रन-चेज़ रिकॉर्ड बनाया। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 338 रन बनाए, जो एक बड़ा लक्ष्य था। लेकिन भारत की बल्लेबाज जेमिमा रोड्रिग्ज ने शानदार शतकीय पारी खेली और कप्तान हरमनप्रीत कौर के साथ मिलकर टीम को 341 रन तक पहुँचाया। जेमिमा ने नाबाद 127 रन बनाये और हरमनप्रीत ने 89 रन की महत्वपूर्ण साझेदारी निभाई। इस जीत ने भारतीय टीम को इतिहास रचने का आत्मविश्वास दिया और बरसों से चली आ रही विश्व कप की सूखी को खत्म करने का मौका प्रदान किया।
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फाइनल मुकाबला: पहली बार विश्वकप की ट्रॉफी भारत के नाम
2 नवंबर 2025 को नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में खेले गए फाइनल मुकाबले में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हराकर पहली बार महिला वनडे विश्वकप का खिताब अपने नाम किया। पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम ने 50 ओवर में 298 रन बनाए, जिसमें शेफाली वर्मा ने 87 और दीप्ति शर्मा ने 58 रन की अहम पारियां खेलीं। जवाब में दक्षिण अफ्रीका की कप्तान लौरा वौल्फार्ट ने शानदार शतकीय पारी खेली, लेकिन भारतीय गेंदबाजों के समर्पित प्रदर्शन के सामने टीम 246 रन पर घुटने टेक गई। दीप्ति शर्मा ने पाँच विकेट लेकर मैच का मोड़ भारत के पक्ष में किया और शेफाली वर्मा को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया। यह एक भावनात्मक और गर्व से भरपूर क्षण था, जिसने भारतीय महिला क्रिकेट को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया।
यह जीत न केवल भारतीय क्रिकेट का ऐतिहासिक क्षण है, बल्कि महिलाओं के खेल में नए युग की शुरुआत भी है। इस सफलता के पीछे टीम की मेहनत, धैर्य, और जुनून की कहानी छिपी है। हार की चुनौती से उभरकर, चयन से लेकर मैदान तक हर कदम पर एकजुटता और कड़ी मेहनत ने यह कर दिखाया कि भारत की बेटियां किसी मुकाम से कम नहीं। यह ट्रॉफी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।
