देहरादून: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा में हुए पेपर लीक मामले ने राज्यभर में हड़कंप मचा दिया है। इस बहुचर्चित प्रकरण में अब जांच की कमान केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने संभाल ली है। सोमवार देर रात सीबीआई ने औपचारिक रूप से मामला दर्ज कर लिया। आरोपियों में खालिद, सुमन, साबिया और हीना के नाम शामिल हैं। देहरादून स्थित एसीबी शाखा ने नकल विरोधी अधिनियम के तहत केस दर्ज करते हुए जांच की जिम्मेदारी असिस्टेंट सुप्रिटेंडेंट राजीव चंदोला को सौंपी है।
यह पेपर लीक प्रकरण 21 सितंबर को आयोजित हुई स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा से जुड़ा है, जिसे उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) ने आयोजित कराया था। परीक्षा के कुछ ही घंटों बाद हरिद्वार के एक परीक्षा केंद्र से प्रश्नपत्र लीक होने की खबर सामने आई। सोशल मीडिया पर भी पेपर के कथित फोटो तेजी से वायरल हो गए, जिसके बाद अभ्यर्थियों में आक्रोश फैल गया।
पेपर लीक की सूचना मिलते ही कई युवा संगठन और अभ्यर्थियों के समूह सड़कों पर उतर आए। उन्होंने देहरादून के परेड ग्राउंड के पास देर रात से धरना शुरू कर दिया। युवाओं का कहना था कि यह परीक्षा उनकी वर्षों की मेहनत और प्रतीक्षा का परिणाम थी, लेकिन नकल माफिया की वजह से मेहनती युवाओं का भविष्य दांव पर लग गया। आंदोलनकारियों ने मांग की कि सरकार और आयोग निष्पक्ष जांच कराए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करे।
कई दौर की वार्ताओं के बावजूद शुरुआती दिनों में कोई ठोस निर्णय नहीं निकल सका। आंदोलन धीरे-धीरे राज्यव्यापी रूप लेता गया। युवाओं ने शासन-प्रशासन से पारदर्शिता की मांग करते हुए कहा कि जब तक पेपर लीक के असली दोषियों को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा। इसी बीच पुलिस ने भी प्रारंभिक जांच करते हुए कुछ संदिग्धों से पूछताछ शुरू की थी। कई दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त किया गया, जिनमें परीक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण डेटा मिलने की संभावना जताई जा रही है। इन तमाम साक्ष्यों को अब सीबीआई को सौंपा गया है ताकि जांच निष्पक्ष और प्रभावी तरीके से पूरी की जा सके।
देहरादून एसीबी शाखा के माध्यम से मुकदमा दर्ज करने के बाद पूरे मामले को और गंभीरता से लिया जा रहा है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि लीक हुआ पेपर कुछ चुनिंदा लोगों तक समय से पहले पहुंचाया गया, जिसके बदले मोटी रकम वसूली गई। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि अभी जांच प्रारंभिक चरण में है और जैसे-जैसे साक्ष्य जुटते जाएंगे, और गिरफ्तारियां संभव हैं। राज्यभर में इस घटना ने परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला केवल एक परीक्षा का नहीं बल्कि अभ्यर्थियों के भविष्य और सरकारी तंत्र की विश्वसनीयता से जुड़ा है। जनता और युवाओं की निगाहें अब सीबीआई जांच पर टिकी हैं, जिससे उम्मीद की जा रही है कि दोषियों को जल्द सजा मिलेगी और आगे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
