नेपाल: नेपाल के पूर्वी भाग में स्थित इलम जिले में बीते 24 घंटे प्रकृति के भीषण कोप के गवाह बने। मूसलधार बारिश ने इस पहाड़ी इलाके को तबाह कर दिया है। लगातार बारिश के चलते आई बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं ने अब तक कम से कम 51 लोगों की जान ले ली है, जबकि दर्जनों लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। आपदा के चलते कई घर बह गए, सड़कें और पुल टूट गए तथा ग्रामीण इलाकों का संपर्क पूरी तरह से कट गया है।
इलम और आसपास के जिलों में हुई इस तबाही ने प्रशासन को सतर्क कर दिया है। आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार लगातार बारिश के कारण नदियों का जलस्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, जिससे और भूस्खलन की संभावना बनी हुई है। राजधानी काठमांडू और तराई क्षेत्रों के बीच हवाई और सड़क यातायात भी प्रभावित हुआ है। कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को डायवर्ट या रद्द करना पड़ा है।
घनी आबादी वाले इलाकों में भारी नुकसान
इलम, पांचथर और झापा जिलों में सबसे ज्यादा तबाही दर्ज की गई है। कई गांवों में लोग अपने घरों से बेघर हो गए हैं और स्कूलों तथा सरकारी इमारतों को अस्थायी राहत केंद्रों के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। नेपाल पुलिस, सेना और स्थानीय स्वयंसेवक आपदा में फंसे लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में जुटे हैं। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने घटना पर शोक व्यक्त करते हुए मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की है। उन्होंने राहत और बचाव कार्यों को तेज करने के निर्देश दिए हैं। सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों में आपातकालीन सहायता पहुंचाने के लिए विशेष हेलिकॉप्टर सेवाएं शुरू की हैं।
मौसम विभाग की चेतावनी
नेपाल के मौसम विज्ञान विभाग ने अगले 48 घंटों तक पूर्वी और मध्य नेपाल के कई जिलों में भारी बारिश की संभावना जताई है। विभाग ने जनता से अपील की है कि वे नदियों और पहाड़ी ढलानों के पास न जाएं और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें। लगातार वर्षा के चलते कई हिस्सों में भूस्खलन की नई घटनाएं दर्ज हो सकती हैं, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
भारत पर भी असर की संभावना
नेपाल से लगी भारतीय सीमाओं, खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश के तराई इलाकों में भी बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। गंडक और कोसी जैसी नदियों का जलस्तर बढ़ने से भारत के कई जिलों में जलभराव की स्थिति बन सकती है। भारतीय मौसम विभाग ने भी अगले कुछ दिनों के लिए सतर्कता बरतने की सलाह दी है।
स्थानीय लोगों की व्यथा
इलम की निवासी 45 वर्षीय सीता सुब्बा ने बताया कि बारिश पूरी रात चलती रही और सुबह तक उनका घर बह गया। हमने जैसे-तैसे बच्चों को लेकर पहाड़ी पर शरण ली। अब हमारे पास न घर बचा है, न सामान, उन्होंने आंसू रोकते हुए कहा। ऐसे सैकड़ों परिवार अपने खोए आशियाने और प्रियजनों के दर्द से जूझ रहे हैं।
राहत कार्य और चुनौतियां
राहत सामग्री को प्रभावित इलाकों तक पहुंचाना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। कई सड़कों के टूटने और पुलों के बह जाने से राहत वाहन नहीं पहुंच पा रहे हैं। सेना के हेलिकॉप्टरों से खाने-पीने के पैकेट, दवाइयां और कपड़े गिराए जा रहे हैं। बचाव दल मलबे में फंसे लोगों की तलाश कर रहे हैं और उम्मीद जता रहे हैं कि कुछ अभी भी जीवित हो सकते हैं। नेपाल में हर साल मानसून के दौरान बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन इस बार का प्रकोप पिछले कई वर्षों की तुलना में कहीं अधिक विनाशकारी साबित हुआ है।
नेपाल सरकार ने आपात राहत कोष से करोड़ों नेपाली रुपयों की सहायता घोषणा की है और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से सहायता मांगी है। प्राकृतिक आपदा के इस दर्दनाक मंजर ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि पहाड़ी क्षेत्रों में विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों से जान-माल का नुकसान रोका जा सके।