देहरादून: उत्तराखंड में मानसून सीजन के आखिरी चरण में एक बार फिर बारिश का दौर तेज होने की संभावना जताई गई है। मौसम विभाग ने प्रदेश के ज्यादातर पर्वतीय क्षेत्रों के लिए 5 अक्टूबर से 7 अक्टूबर तक भारी से बहुत भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। इस दौरान देहरादून, नैनीताल, पौड़ी, टिहरी, चंपावत, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और चमोली जैसे जिलों में तेज बारिश के साथ बादल फटने, नदियों के जलस्तर बढ़ने और भूस्खलन की घटनाएं होने की आशंका व्यक्त की गई है।
मौसम विभाग की चेतावनी
मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार, अगले तीन दिनों तक उत्तराखंड के कई हिस्सों में ऑरेंज और यलो अलर्ट लागू रहेगा। उन्होंने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में विशेष रूप से संवेदनशील इलाकों में रहने वाले नागरिकों को आगामी 72 घंटे सतर्क रहने की जरूरत है। मौसम विभाग की रिपोर्ट में बताया गया है कि बंगाल की खाड़ी में बने निम्न दबाव के क्षेत्र के कारण नमी भरी हवा उत्तर दिशा की ओर तेजी से बढ़ रही है, जिसकी वजह से पूरे उत्तराखंड में तेज बारिश के हालात बन रहे हैं।
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प्रशासन ने जारी किए निर्देश
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDRF) और जिला प्रशासन को अलर्ट मोड पर रखा गया है। सभी जिलाधिकारियों को संभावित आपात स्थिति से निपटने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। सड़क और बिजली विभागों को 24 घंटे तैयार रहने को कहा गया है ताकि किसी भी तरह के नुकसान की स्थिति में तुरंत राहत कार्य किया जा सके। एनएच और राज्य मार्गों पर भूस्खलन की संभावनाओं के कारण यातायात पर निगरानी रखी जा रही है। चारधाम यात्रियों से अपील की गई है कि वे अपनी यात्रा योजना बनाते समय मौसम की स्थिति की जानकारी अवश्य लें और खराब मौसम में सफर से बचें।
पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन का खतरा
गढ़वाल और कुमाऊं के कुछ संवेदनशील मार्गों जैसे कि बद्रीनाथ हाईवे, यमुनोत्री मार्ग, कर्णप्रयाग-गौचर तथा बागेश्वर-पिथौरागढ़ सड़क पर भूस्खलन की संभावना जताई गई है। पिछले कुछ हफ्तों में कई जगहों पर पहाड़ों से मलबा गिरने की घटनाएं देखी गई थीं, जिससे यातायात बाधित हुआ था। प्रशासन ने इन क्षेत्रों में मशीनरी और जनशक्ति बढ़ाने के आदेश दिए हैं, ताकि सड़कों को जल्द से जल्द बहाल किया जा सके।
किसानों और ग्रामीणों से अपील
कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि वे इस अवधि के दौरान अपने खेतों में की जाने वाली गतिविधियों को फिलहाल रोक दें और निचले इलाकों में पानी की निकासी का उचित प्रबंध करें। पशुपालकों को भी अपने मवेशियों को सुरक्षित स्थानों पर रखने की सलाह दी गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी नदियों और नालों के किनारे बसे लोगों से सुरक्षित दूरी बनाए रखने और रात में अनावश्यक रूप से बाहर न निकलने की अपील की गई है।
पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए सुझाव
पर्यटक स्थलों जैसे मसूरी, नैनीताल और औली में भारी बारिश और फॉग (कोहरा) की स्थिति बन सकती है, जिससे दृश्यता प्रभावित हो सकती है। पर्यटकों से अनुरोध किया गया है कि वे पहाड़ी क्षेत्रों की यात्रा करते समय मौसम विभाग द्वारा जारी बुलेटिन पर नज़र रखें और प्रशासनिक निर्देशों का पालन करें। होटल व्यवसायियों को भी अपने मेहमानों को मौसम की सटीक जानकारी देने के निर्देश दिए गए हैं।
उत्तराखंड में हर वर्ष मानसून के दौरान भारी बारिश और भूस्खलन की घटनाएं बड़ी चुनौती पेश करती हैं। इस बार भी मौसम विभाग के अनुसार 5 से 7 अक्टूबर तक का समय प्रदेश के कई जिलों के लिए अहम रहेगा। प्रशासन ने न केवल अलर्ट जारी किया है, बल्कि आपदा प्रबंधन दलों को हर स्तर पर मुस्तैद रहने के आदेश भी दिए हैं। राज्य सरकार ने जनता से अपील की है कि वे अफवाहों से दूर रहें, केवल सरकारी स्रोतों से मिलने वाली जानकारी पर भरोसा करें और किसी भी आपात स्थिति में हेल्पलाइन नंबर 1070 या अपने जिले की नियंत्रण कक्ष से तुरंत संपर्क करें।