कपकोट: बागेश्वर जिले के कपकोट क्षेत्र से सामने आया नाबालिग गर्भवती का मामला अब नए मोड़ पर पहुंच गया है। ताजा मेडिकल रिपोर्ट में यह बेहद चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि किशोरी के गर्भ में एक नहीं, बल्कि दो शिशु पल रहे हैं। इस जानकारी ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी है। फिलहाल पीड़ित किशोरी को वन स्टॉप सेंटर में रखा गया है, जहां उसकी देखभाल और आवश्यक काउंसलिंग की जा रही है।
मामला इस सप्ताह मंगलवार का है, जब गर्भवती नाबालिग स्वास्थ्य जांच के लिए जिला अस्पताल पहुंची थी। उसी दौरान पुलिस की जानकारी में आए इस संवेदनशील मामले को गंभीरता से लिया गया और किशोरी को सुरक्षा कारणों से वन स्टॉप सेंटर भेज दिया गया। अगले ही दिन, यानी बुधवार को कपकोट थाने में आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट और अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी गई।
गुरुवार को जिला अस्पताल में किशोरी का विस्तृत मेडिकल परीक्षण कराया गया। मेडिकल टीम में शामिल चिकित्सक गायत्री पांगती ने जांच में यह पुष्टि की कि किशोरी के गर्भ में जुड़वां शिशु पल रहे हैं। यह तथ्य न केवल परिवारजन बल्कि पुलिस प्रशासन के लिए भी गंभीर चुनौती के रूप में सामने आया है। गर्भावस्था के इस असामान्य और जटिल मामले में चिकित्सीय देखभाल की जिम्मेदारी भी और अधिक संवेदनशील हो गई है।
किशोरी को स्वास्थ्य लाभ और मानसिक संतुलन प्रदान करने के लिए जिला बाल कल्याण समिति भी लगातार सक्रिय है। समिति ने गुरुवार को विस्तृत काउंसलिंग सत्र आयोजित किया, जिसमें किशोरी को भावनात्मक सहयोग और भविष्य को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण देने पर विशेष ध्यान दिया गया। विशेषज्ञ काउंसलर ने बताया कि इस उम्र में ऐसे हालात से गुजर रही बच्ची के लिए सबसे अधिक जरूरी मानसिक मजबूती और बेहतर देखभाल है।
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इस मामले में पुलिस प्रशासन की ओर से यह आश्वासन दिया गया है कि आरोपी को किसी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। कपकोट थाने की टीम ने बताया कि केस दर्ज कर आगे की जांच तेजी से बढ़ाई जा रही है और सबूतों को मज़बूती से इकट्ठा किया जा रहा है। पुलिस का कहना है कि नाबालिग के अधिकारों और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।
स्थानीय सामाजिक संगठनों ने भी इस घटना पर चिंता जताई है और प्रशासन से सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि इस तरह की घटनाएं समाज के लिए गहरी चिंता का विषय हैं और बच्चों की सुरक्षा में किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं होनी चाहिए।
वन स्टॉप सेंटर, जहां फिलहाल किशोरी को रखा गया है, न केवल अस्थायी आश्रय का काम कर रहा है, बल्कि यहां पर स्वास्थ्य, परामर्श और कानूनी सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है। यह सेंटर राज्य सरकार की उस पहल का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य ऐसी परिस्थितियों में पीड़ित को एक ही छत के नीचे सभी आवश्यक सहयोग मुहैया कराना है।
घटना से संबंधित चिकित्सक गायत्री पांगती ने भी स्पष्ट किया कि चिकित्सीय दृष्टिकोण से यह एक जोखिमपूर्ण स्थिति है। जुड़वां शिशु गर्भधारण सामान्य गर्भावस्था की तुलना में अधिक जटिल माना जाता है और किशोरी की आयु को देखते हुए यह मामला स्वास्थ्य के लिहाज से और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इसी कारण उसे विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखरेख में रखने की तैयारी की जा रही है।
जिला प्रशासन की ओर से कहा गया है कि पूरे मामले पर निगरानी रखी जा रही है। किशोरी को न्याय और उचित देखभाल दिलाने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे। इसके साथ ही समाज में बाल सुरक्षा और जनजागरूकता को लेकर विशेष अभियान चलाने की भी योजना पर विचार किया जा रहा है।