चमोली: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में एक बार फिर बादल फटने की भयावह तस्वीर सामने आई है। चमोली जिले के नंदा नगर क्षेत्र के कुंतरी और धुर्मा गांव में बुधवार देर रात बादल फट गया, जिससे दोनों गांवों में भारी तबाही मच गई। अचानक हुई इस प्राकृतिक आपदा ने ग्रामीणों के जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। मकानों को गहरे नुकसान पहुँचा है, कई परिवार बेघर हो गए हैं और कई लोग लापता बताए जा रहे हैं।
कुंतरी गांव में हालात सबसे ज्यादा गंभीर हैं। यहां बादल फटने के कारण भारी मलबा गांव पर आ गया और देखते ही देखते छह मकान पूरी तरह से जमींदोज हो गए। मलबे के नीचे सात लोगों के दबे होने की आशंका है। ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन को तुरंत सूचना दी और टीमों ने मौके पर पहुँचकर राहत और बचाव अभियान शुरू किया। घटना के बाद गांव में दहशत और मातम का माहौल है। महिलाएं और बच्चे सुरक्षित स्थानों पर शरण लिए हुए हैं, जबकि पुरुष राहत कार्य में जुटे हुए हैं।
धुर्मा गांव की स्थिति भी चिंताजनक बनी हुई है। यहां पांच मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। कई लोग अब बेघर होकर खुले आसमान के नीचे रात बिताने को मजबूर हैं। इस गांव से दो ग्रामीणों के लापता होने की खबर है, जिनकी तलाशी के लिए SDRF, पुलिस और स्थानीय बचाव दल लगातार प्रयास कर रहे हैं। नदी और गदेरे किनारे रहने वाले मकानों में पानी और मलबे के घुसने से नुकसान और बढ़ गया है।
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इस आपदा से मोक्ष नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया है, जिसके चलते आसपास के क्षेत्रों में भी बाढ़ जैसी स्थिति बन गई। नदी का तेज बहाव रास्तों, खेतों और घरों को प्रभावित कर रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि लगातार हो रही भारी बरसात ने खतरे को और बढ़ा दिया है। प्रशासन ने निचले इलाकों के लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है और जरूरत पड़ने पर उन्हें सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जाएगा।
आपदा प्रबंधन विभाग, SDRF और पुलिस की संयुक्त टीमें मौके पर डटी हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन को तेज कर दिया गया है और लापता ग्रामीणों की तलाश की जा रही है। वहीं, मेडिकल टीम भी अलर्ट मोड पर है ताकि किसी भी घायल व्यक्ति को तुरंत इलाज मिल सके। प्रभावित परिवारों को अस्थायी शिविरों में शिफ्ट करने की तैयारी की जा रही है।
स्थानीय लोग प्रशासन से राहत और मुआवजे की मांग उठा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अचानक आपदा ने उनकी वर्षों की मेहनत को मिट्टी में मिला दिया है। खेत, पशुधन, मकान और सामान सबकुछ बह गया या दब गया है। महिलाओं और बच्चों में दहशत का माहौल बना हुआ है। चमोली जैसे पहाड़ी जिलों में हर साल बरसात के मौसम में बादल फटने, भूस्खलन और गदेरों के उफान जैसी घटनाएं सामने आती रहती हैं, जिससे पहाड़ के लोगों का जीवन असुरक्षित बना रहता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन और अनियमित वर्षा पैटर्न इन आपदाओं को और भयावह बना रहे हैं।
फिलहाल, नंदा नगर के कुंतरी और धुर्मा गांव के प्रभावितों को प्रशासन की ओर से रेस्क्यू और राहत पहुंचाई जा रही है। लेकिन ग्रामीणों के सामने आने वाले दिनों में पुनर्वास और जीवन पटरी पर लाने की बड़ी चुनौती होगी। यह घटना एक बार फिर यही संदेश देती है कि उत्तराखंड जैसे संवेदनशील पहाड़ी राज्य में आपदा प्रबंधन तंत्र को और अधिक सशक्त और अग्रिम चेतावनी प्रणाली को मजबूत करने की जरूरत है, ताकि ऐसी त्रासदियों के दौरान नुकसान को कम किया जा सके।