नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि वे शिवभक्ति की परंपरा निभाते हुए हर प्रकार की चुनौतियों और आरोपों को सहन कर सकते हैं, लेकिन मां का अपमान कभी बर्दाश्त नहीं कर सकते। मोदी के इस बयान ने न केवल राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया बल्कि उनके शब्दों में छुपी आस्था और भावनाओं ने भी लोगों का ध्यान खींचा।
शिव का भक्त और राजनीति का संकल्प
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वे शिव के भक्त हैं और भगवान शिव जिस तरह समुद्र मंथन के समय विषपान कर जगत की रक्षा करते हैं, ठीक उसी तरह वे भी राजनीतिक जीवन में हर तरह की विषैली आलोचनाओं और झूठे आरोपों को सहन कर लेते हैं। लेकिन जब बात मां के सम्मान की आती है तो वे इसे व्यक्ति और समाज के संस्कारों से जुड़ा मुद्दा मानते हैं। मोदी का यह बयान जनता के दिल को छू गया। उनके समर्थक इसे मोदी की दृढ़ता और भावुकता का प्रतीक मान रहे हैं। वहीं विरोधी इसे राजनीति से जोड़े बिना नहीं देख पा रहे।
कांग्रेस पर सीधा प्रहार
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके नेताओं ने कई बार उनके परिवार और मां के खिलाफ असंवेदनशील बयान दिए, जो भारतीय संस्कृति और राजनीति की मर्यादा के विपरीत है। मोदी ने साफ कहा कि राजनीतिक विवाद मुद्दों पर हो सकता है, लेकिन व्यक्तिगत जीवन, विशेषकर मां जैसे पवित्र रिश्ते पर हमला अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में मां का स्थान सर्वोच्च है। मां त्याग, ममता और आदर्श का प्रतीक हैं। यदि किसी की मां पर आक्षेप होता है तो वह केवल एक व्यक्ति का ही नहीं, बल्कि संपूर्ण समाज की भावनाओं का अपमान होता है।
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जनता की प्रतिक्रिया
मोदी के बयान को लेकर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बौछार शुरू हो गई। समर्थकों ने कहा कि मोदी का यह वक्तव्य करोड़ों लोगों की भावनाओं से मेल खाता है। देश में हर व्यक्ति के लिए मां सम्मान का प्रतीक हैं और जब प्रधानमंत्री इसे लेकर दृढ़तापूर्वक सामने आते हैं, तो यह उनके व्यक्तित्व को और भी मजबूत बनाता है।
वहीं, विपक्ष का कहना है कि मोदी इस बयान के जरिए भावनात्मक राजनीति करना चाहते हैं। कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री आलोचना से बचने के लिए इसे व्यक्तिगत सम्मान का मुद्दा बना रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में यह बयान चुनावी रणनीति से भी जोड़ा जा रहा है।
मोदी की राजनीति और भावनात्मक जुड़ाव
प्रधानमंत्री मोदी अपनी राजनीति में अक्सर संस्कृति, धर्म और परंपराओं का उल्लेख करते हैं। वे खुद को साधारण परिवार से आने वाला बताकर जनता से जुड़ाव बनाने में सफल रहे हैं। शिवभक्ति और मां के सम्मान से जुड़ी उनकी बातें जनता के दिल तक पहुंचती हैं, क्योंकि ये विषय भारतीय समाज में गहरी आस्था और भावनात्मक महत्व रखते हैं।
यह बयान फिर दिखाता है कि मोदी केवल नेता के रूप में नहीं, बल्कि समाज के जुड़ाव और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रतीक के रूप में भी खुद को प्रस्तुत करते हैं। जनता के बीच उनकी ऐसी छवि मजबूत होती है, जिसमें वे राजनीति से अधिक भारतीय संस्कृति के रक्षक के रूप में सामने आते हैं।