Special Ops 2 रिव्यू: हिम्मत सिंह की साइबर जंग, जहां दुश्मन दिखाई नहीं देता!
नई दिल्ली — “AI हमारे लिए सबसे बड़ी सौगात है, लेकिन यही वो चीज है जिससे हमें सबसे ज्यादा सतर्क रहना होगा।” ये शब्द हैं प्रोफेसर पीयूष भार्गव (अभिनेता आरिफ ज़कारिया) के, जो बुडापेस्ट में एक एआई समिट को संबोधित कर रहे होते हैं। इसी चेतावनी के साथ शुरू होती है ‘Special Ops 2’, एक ऐसी वेब सीरीज़ जो आज की साइबर युद्ध की दुनिया को नए तरीके से दर्शाती है।
अब जासूसी सिर्फ हथियारों से नहीं, डेटा से होगी
‘स्पेशल ऑप्स’ का दूसरा सीजन पहले ही एपिसोड में साफ कर देता है कि अब खुफिया लड़ाई का मैदान बदल चुका है। यह सीजन केवल खुफिया एजेंसियों की दुनिया नहीं दिखाता, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), साइबर जासूसी, वर्चुअल सोल्जर्स और स्लॉटर बॉट्स जैसे खतरनाक टॉपिक्स पर ध्यान केंद्रित करता है। कहानी बताती है कि भविष्य के युद्ध सीमाओं पर नहीं, बल्कि डेटा सेंटर्स और डिजिटल खाइयों में लड़े जाएंगे।
कहानी की शुरुआत: दो देशों, दो घटनाएं, एक साजिश
कहानी शुरू होती है दो बड़े झटकों के साथ:
- दिल्ली में RAW एजेंट विनोद शेखावत की हत्या।
- बुडापेस्ट में साइंटिस्ट पीयूष भार्गव का अपहरण।
इन दोनों घटनाओं के बीच कोई गहरा कनेक्शन है। तभी काठमांडू से फारूक (करण टाकर) को बुलाया जाता है और वियना से अविनाश (मुज़म्मिल इब्राहिम) को बीच मिशन से वापस लाया जाता है।
एक रहस्यमयी विलेन और उसका खतरनाक खेल
इस बार का मुख्य खलनायक है सुधीर (ताहिर राज भसीन) — जो बाहर से शांत, पर अंदर से खतरनाक गेम मास्टर है। वह इन सब घटनाओं का मास्टरमाइंड है, और उसका अगला कदम क्या होगा, यह कोई नहीं जानता।
हिममत सिंह की दोहरी चुनौती
के के मेनन द्वारा निभाया गया हिममत सिंह इस बार दो मोर्चों पर लड़ रहा है:
- एक संभावित साइबर अटैक से देश को बचाना।
- जिग्नेश ढोलकिया नाम के एक सफेदपोश धोखेबाज़ को भारत लाना, जिसने उसके मेंटर सुबरमण्यम (प्रकाश राज) की ज़िंदगी की कमाई लूट ली।
साथ ही, हिममत को अपनी बेटी परी से जुड़ा एक भावनात्मक सच भी छुपाना है — कि वह उसकी जैविक बेटी नहीं है।
किरदारों की दमदार अदाकारी
- के के मेनन अपने किरदार में फिर से जान डालते हैं — एक सख्त RAW एजेंट और एक नर्मदिल पिता के बीच संतुलन बनाते हुए।
- करण टाकर फारूक के किरदार में आकर्षक और ऊर्जावान हैं।
- प्रकाश राज अनुभवी मार्गदर्शक के रूप में प्रभावशाली हैं।
- ताहिर राज भसीन एक शांत लेकिन खतरनाक खलनायक के रूप में अपनी छाप छोड़ते हैं।
- नए एजेंट अभय सिंह के रोल में विकास मनकताला भी ध्यान आकर्षित करते हैं।
शो की ताकत और कुछ कमियां
क्या खास है:
- वैश्विक लोकेशन जैसे जॉर्जिया, बुडापेस्ट, तुर्की और दिल्ली — जो न केवल सुंदर हैं, बल्कि कहानी को भी मजबूती देती हैं।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर युद्ध जैसे समकालीन विषय।
- संतुलित थ्रिल और इमोशन।
क्या थोड़ा कमज़ोर है:
- कई सबप्लॉट्स के कारण कहानी कुछ जगहों पर बिखरी हुई लगती है।
- कुछ एपिसोड्स की गति धीमी है, जिससे रोमांच थोड़ी देर के लिए थमता है।
निष्कर्ष
‘Special Ops 2’ भले ही पूरी तरह परफेक्ट न हो, लेकिन यह एक प्रासंगिक और रोमांच से भरपूर अनुभव जरूर है। यह शो न केवल एक हाईटेक जासूसी थ्रिलर है, बल्कि इसके भीतर इंसानी रिश्तों और भावनाओं की गहराई भी है। अगर आप मौजूदा दौर की तकनीकी चुनौतियों और जासूसी की दुनिया में दिलचस्पी रखते हैं, तो यह सीरीज़ आपकी वॉचलिस्ट में जरूर होनी चाहिए।
source :-indiatoday