विश्व छात्र दिवस (World Student Day): 15 अक्टूबर 2025 को, हम विश्व छात्र दिवस मना रहे हैं। यह दिन न केवल छात्रों की ऊर्जा, उत्साह और रचनात्मकता का उत्सव है, बल्कि यह हमें याद दिलाता है कि युवा पीढ़ी ही राष्ट्र निर्माण की आधारशिला है। भारत में यह दिवस पूर्व राष्ट्रपति Dr. A.P.J. Abdul Kalam की जन्म जयंती पर मनाया जाता है, जिन्हें ‘मिसाइल मैन ऑफ इंडिया’ के नाम से जाना जाता है। डॉ. कलाम का छात्रों से गहरा लगाव था; वे हमेशा कहते थे, “सपने वो नहीं जो आप सोते हुए देखते हैं, सपने वो हैं जो आपको सोने न दें।” इस लेख में हम विश्व छात्र दिवस के इतिहास, महत्व, मनाने के तरीके और इस वर्ष भारत में हो रही गतिविधियों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। यह दिवस हमें प्रेरित करता है कि शिक्षा के माध्यम से कैसे युवा समाज और विश्व को बदल सकते हैं।
विश्व छात्र दिवस क्यों मनाया जाता है?
विश्व छात्र दिवस का मूल उद्देश्य छात्रों के अधिकारों, शिक्षा की समान पहुंच और युवाओं की भूमिका को रेखांकित करना है। यह दिन छात्रों को यह एहसास दिलाता है कि वे केवल किताबी ज्ञान के उपभोक्ता नहीं, बल्कि समाज के परिवर्तन के एजेंट हैं। डॉ. कलाम की दृष्टि में छात्र ‘विंग्स ऑफ फायर’ थे – वे जो उड़ान भरकर देश को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं। यह दिवस शिक्षा को एक हथियार के रूप में देखता है, जो गरीबी, अज्ञानता और असमानता के खिलाफ लड़ाई लड़ सकता है।
भारत जैसे विकासशील देश में, जहां लगभग 12.97 मिलियन बच्चे अभी भी स्कूल से बाहर हैं और साक्षरता दर 30% से अधिक है, यह दिवस विशेष रूप से प्रासंगिक है। यह छात्रों को नवाचार, उद्यमिता और सामाजिक जिम्मेदारी की ओर प्रेरित करता है। वैश्विक स्तर पर, यह दिवस बहुसांस्कृतिकता, विविधता और सहयोग को बढ़ावा देता है। छात्र विभिन्न संस्कृतियों से जुड़कर वैश्विक नागरिक बनते हैं, जो शांति और सतत विकास के लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने में मदद करते हैं। संक्षेप में, यह दिवस हमें याद दिलाता है कि छात्र न केवल भविष्य हैं, बल्कि वर्तमान के शिल्पकार भी हैं।
विश्व छात्र दिवस कब मनाया जाता है?
विश्व छात्र दिवस हर वर्ष 15 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह तारीख डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के जन्मदिन पर आधारित है, जो 1931 में तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक साधारण मुस्लिम परिवार में पैदा हुए थे। भारत सरकार ने 2010 में इस तिथि को आधिकारिक रूप से विश्व छात्र दिवस घोषित किया, हालांकि संयुक्त राष्ट्र द्वारा इसे मान्यता नहीं दी गई है। संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट पर 15 अक्टूबर को ‘अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस’ के रूप में चिह्नित किया गया है। फिर भी, भारत में यह दिवस राष्ट्रीय स्तर पर उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।
यह ध्यान देने योग्य है कि ‘इंटरनेशनल स्टूडेंट्स डे’ नामक एक अलग दिवस 17 नवंबर को वैश्विक स्तर पर मनाया जाता है, जो 1939 के प्राग विश्वविद्यालय नरसंहार की स्मृति में है। लेकिन उपयोगकर्ता के प्रश्न के संदर्भ में, हम ‘विश्व छात्र दिवस’ पर केंद्रित रहेंगे, जो भारत में 15 अक्टूबर को ही प्रचलित है।
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World Student Day की शुरुआत कब हुई?
विश्व छात्र दिवस की शुरुआत 2010 में हुई। डॉ. कलाम का निधन 27 जुलाई 2015 को शिलांग में एक व्याख्यान देते हुए हो गया, लेकिन उनके जीवनकाल में ही छात्रों के प्रति उनके योगदान को देखते हुए तमिलनाडु सरकार ने 15 अक्टूबर को ‘युवा ज्ञान दिवस’ घोषित किया। राष्ट्रीय स्तर पर इसे 2010 में ही पूर्ण रूप से लागू किया गया। डॉ. कलाम ने अपने कार्यकाल के दौरान छात्रों से हजारों पत्र प्राप्त किए और उन्हें व्यक्तिगत रूप से जवाब दिया। उनकी पुस्तकें जैसे ‘विंग्स ऑफ फायर’ और ‘इंडिया 2020’ छात्रों को प्रेरित करने वाली हैं। इस दिवस की शुरुआत से पहले, डॉ. कलाम की जन्म जयंती पर स्थानीय स्तर पर कार्यक्रम होते थे, लेकिन 2010 के बाद यह राष्ट्रीय उत्सव बन गया।
World Student Day की शुरुआत कैसे और किसने की?
इस दिवस की शुरुआत डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के छात्रों के प्रति समर्पण से प्रेरित होकर तत्कालीन भारत सरकार ने की। डॉ. कलाम, जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) में प्रमुख वैज्ञानिक रहे, ने मिसाइल कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्हें ‘मिसाइल मैन’ कहा गया। राष्ट्रपति बनने के बाद भी वे छात्रों के बीच घूमते रहे, स्कूलों में व्याख्यान देते और उन्हें विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नैतिकता सिखाते।
2010 में, तमिलनाडु सरकार ने सबसे पहले इस तिथि को ‘युवा ज्ञान दिवस’ के रूप में घोषित किया। फिर केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय स्तर पर ‘विश्व छात्र दिवस’ नाम दिया। यह निर्णय डॉ. कलाम की सलाहकार भूमिका और उनके द्वारा छात्रों को संबोधित करने वाले ‘ड्रीम, ड्रीम, ड्रीम’ जैसे संदेशों से प्रेरित था। डॉ. कलाम ने कहा था, “शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी पाना नहीं, बल्कि मानवता की सेवा करना है।” इस प्रकार, यह दिवस उनकी विरासत को जीवंत रखने का माध्यम है।
इस वर्ष विश्व छात्र दिवस पर क्या किया जा रहा है?
2025 में विश्व छात्र दिवस का थीम है “Empowering Students as Agents of Innovation and Change” (छात्रों को नवाचार और परिवर्तन के एजेंट के रूप में सशक्त बनाना)। यह थीम डॉ. कलाम की दृष्टि को प्रतिबिंबित करती है, जहां युवा शिक्षा और प्रौद्योगिकी के माध्यम से राष्ट्रीय विकास के ड्राइवर बनें। इस वर्ष, भारत में कार्यक्रमों का फोकस डिजिटल लर्निंग, छात्र कार्यकर्ता और उद्यमिता पर है।
राष्ट्रीय स्तर पर, शिक्षा मंत्रालय ने स्कूलों और कॉलेजों में वर्चुअल और भौतिक कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक वीडियो संदेश में कहा, “डॉ. कलाम हमें सिखाते हैं कि सपने देखना ही काफी नहीं, उन्हें साकार करना पड़ता है।” पूरे देश में 1 लाख से अधिक स्कूलों में कार्यक्रम हो रहे हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में एक बड़ा सेमिनार आयोजित किया गया, जहां छात्रों ने एआई और सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर चर्चा की।
दक्षिण भारत, विशेष रूप से तमिलनाडु में, रामेश्वरम में डॉ. कलाम की जन्मभूमि पर विशेष पूजा और स्मृति सभा हुई। राज्यपाल आर.एन. रवि ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, “कलाम साहब का जीवन हमें बताता है कि साधारण पृष्ठभूमि से भी असाधारण उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं।” यहां पर 5000 से अधिक छात्रों ने भाग लिया, जिसमें रॉकेट मॉडल प्रदर्शनी और क्विज प्रतियोगिताएं शामिल थीं।
उत्तर भारत में, IIT कानपुर और आईआईएम अहमदाबाद जैसे संस्थानों ने वर्कशॉप आयोजित किए। आईआईटी कानपुर में ‘इनोवेशन चैलेंज’ नामक प्रतियोगिता हुई, जहां छात्रों ने पर्यावरण-अनुकूल प्रोजेक्ट्स प्रस्तुत किए, जैसे सोलर-पावर्ड वाटर प्यूरीफायर। विजेताओं को डॉ. कलाम मेमोरियल अवॉर्ड दिया गया। इसी तरह, बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) में टेड टॉक्स सेशन हुए, जहां विशेषज्ञों ने छात्रों को स्टार्टअप कल्चर पर मार्गदर्शन दिया।
ग्रामीण क्षेत्रों में, राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के तहत कैंप लगाए गए। महाराष्ट्र के एक गांव में, 200 छात्रों ने डिजिटल लिटरेसी वर्कशॉप चलाया, जहां ग्रामीण बच्चों को टैबलेट पर बेसिक कोडिंग सिखाई गई। यह डॉ. कलाम की ‘रूरल हेल्थकेयर टैबलेट’ जैसी पहलों को याद करता है, जो 2012 में डॉ. सोमा राजू के साथ विकसित हुई थी।
सांस्कृतिक स्तर पर, स्कूलों में नाटक, कविता पाठ और सांस्कृतिक संध्या आयोजित हो रही हैं। उदाहरण के लिए, मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज में ‘Kalam Night’ नामक इवेंट में छात्रों ने डॉ. कलाम की जीवनी पर आधारित शॉर्ट फिल्में दिखाईं। सोशल मीडिया पर #WorldStudentsDay2025 हैशटैग ट्रेंड कर रहा है, जहां छात्र अपनी कहानियां शेयर कर रहे हैं।
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सरकारी पहल के तहत, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) के अंतर्गत स्पेशल वर्कशॉप हो रहे हैं। इसके अलावा, यूनेस्को के सहयोग से ऑनलाइन वेबिनार आयोजित किए गए, जिसमें 50 देशों के छात्र शामिल हुए। भारत ने इस वर्ष 10,000 छात्रों को स्कॉलरशिप देने का ऐलान किया, जो नवाचार पर आधारित हैं।ये गतिविधियां न केवल मनोरंजन प्रदान करती हैं, बल्कि छात्रों को व्यावहारिक कौशल सिखाती हैं। उदाहरण के लिए, एक वर्कशॉप में छात्रों ने ड्रोन टेक्नोलॉजी पर प्रोजेक्ट बनाए, जो कृषि में उपयोगी साबित हो सकते हैं। कुल मिलाकर, 2025 के उत्सव में पारंपरिक और डिजिटल तत्वों का मिश्रण है, जो डॉ. कलाम की ‘डिजिटल इंडिया’ की कल्पना को साकार करता है।
छात्रों की भूमिका और भविष्य की चुनौतियां
विश्व छात्र दिवस हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि छात्रों की भूमिका क्या होनी चाहिए। डॉ. कलाम ने कहा था, “यदि हम एक विकसित राष्ट्र बनना चाहते हैं, तो हमें 2020 तक हर बच्चे को शिक्षा देनी होगी।” आज, कोविड-19 के बाद शिक्षा में डिजिटल डिवाइड एक बड़ी चुनौती है। भारत में 30% से अधिक छात्रों के पास इंटरनेट एक्सेस नहीं है। इस दिवस पर हम प्रतिज्ञा लें कि हम इन असमानताओं को दूर करेंगे।छात्र पर्यावरण संरक्षण, लिंग समानता और मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर सक्रिय हों। उदाहरण के लिए, फ्राइडेज फॉर फ्यूचर जैसे आंदोलन छात्रों द्वारा ही चलाए जा रहे हैं। भविष्य में, एआई और ऑटोमेशन शिक्षा को बदल देंगे, लेकिन मानवीय मूल्यों को बनाए रखना आवश्यक है।
विश्व छात्र दिवस एक साधारण तारीख नहीं, बल्कि प्रेरणा का स्रोत है। डॉ. कलाम की याद में मनाया जाने वाला यह दिवस हमें सिखाता है कि शिक्षा से ही हम विश्व को बेहतर बना सकते हैं। 2025 में भारत के कार्यक्रम दर्शाते हैं कि युवा ऊर्जा कितनी शक्तिशाली है। आइए, हम सभी प्रतिज्ञा करें कि हम छात्रों को न केवल पढ़ाएंगे, बल्कि उनके सपनों को पंख देंगे। जैसा कि कलाम साहब कहते थे, “सपने वो नहीं जो सोते हुए देखे जाते हैं, सपने वो हैं जो सोने न दें।” जय हिंद!