विश्व बाल श्रम निषेध दिवस 2025: बाल श्रम केवल एक कानूनी या सामाजिक मुद्दा नहीं है, यह एक ऐसा गंभीर विषय है जिनमे भारत का भविष्य छुपा है बच्चे हमारे देश की नींव है और बाल श्रम इस नींव का विध्वंश कर रहा है। एक बच्चे को किताबों से दूर करके हम सिर्फ उसका वर्तमान नहीं, बल्कि भविष्य भी छीन लेते हैं।
हर वर्ष 12 जून को दुनिया भर में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस (World Day Against Child Labour) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य समाज और सरकारों का ध्यान उस कड़वी सच्चाई की ओर आकर्षित करना है जिसमें लाखों बच्चे अपने बचपन को किताबों, खेल-खिलौनों की बजाय औजारों, ईंट के भट्टों, होटलों, खेतों और फैक्ट्रियों में गंवा देते हैं।
वर्तमान समय मे यह दिन और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सम्पूर्ण विश्व आज भी बाल श्रमिकों की संख्या को घटाने के लिए संघर्ष ही कर रहा है। एक शोध के अनुसार हर दस में से एक बच्चा काम करने के लिए मजबूर है। इस मज़बूरी का मुख्य कारण गरीबी है।
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का इतिहास और शुरुआत
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की शुरुआत अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा साल 2002 में की गई थी। इसका उद्देश्य- “बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा और उन्हें शिक्षा व सम्मानजनक जीवन देने की दिशा में वैश्विक जागरूकता बढ़ाना है”। यह दिन दुनियाभर की सरकारों, संगठनों, शिक्षकों, माता-पिता, और आम लोगों को एकजुट होकर बाल श्रम के खिलाफ आवाज उठाने का अवसर देता है।
2025 की थीम क्या है?
“अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन” हर साल इस दिवस के लिए एक थीम निर्धारित करता है। इस वर्ष 2025 की थीम है- “प्रगति स्पष्ट है, लेकिन अभी और काम बाकी है, आइए प्रयासों को तेज करें” इस विषय के माध्यम से यह संदेश दिया गया है कि बाल श्रम के खिलाफ हमारी लड़ाई और ठोस कार्रवाई जारी है जिसे और भी अधिक गति के साथ आगे बढ़ाना है।
क्यों होता है बाल श्रम?
भारत सहित दुनिया के कई विकासशील और अविकसित देशों में बाल श्रम के पीछे अनेक सामाजिक और आर्थिक कारण हैं:
- गरीबी: माता-पिता की आय कम होने के कारण बच्चे कम उम्र में काम करने लगते हैं जिससे परिवार भी चलता है और उनकी जरूरतें भी पूरी होती हैं।
- शिक्षा की कमी: माता पिता मे शिक्षा की कमी बाल मजदूरी का एक मुख्य कारण है। वो अपने बच्चों को शिक्षा देने के बजाए काम करने और पैसा कमाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। अनेक माता पिता बच्चों को शिक्षा देना चाहते हैं परन्तु उनके इलाकों में विद्यालय बहुत दूर होते हैं और बच्चों के लिए सुविधाओं की कमी होती है जिस कारण बच्चे और उनके माता-पिता उन्हें शिक्षा से वंचित ही रखते हैं।
- सामाजिक असमानता: जातिवाद, लिंगभेद और सामाजिक वर्गों में भेदभाव बच्चों को पढ़ाई से दूर करता है।
- बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूकता की कमी: अशिक्षा के कारण अनेक लोग ऐसे हैं जो ये नहीं जानते हैं कि बच्चों को काम पर लगाना अपराध है।
इस विषय पर हिंदी साहित्य के कवि राजेश जोशी जी की कविता “बच्चे काम पर जा रहे हैं” आपको अवश्य पढ़नी चाहिए जो बालश्रम के विरुद्ध एक बिगुल है-
कुहरे से ढँकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं
सुबह-सुबह
बच्चे काम पर जा रहे हैं
हमारे समय की सबसे भयानक पंक्ति है यह
भयानक है इसे विवरण की तरह लिखा जाना
लिखा जाना चाहिए इसे सवाल की तरह
काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?
क्या अंतरिक्ष में गिर गई हैं सारी गेंदें
क्या दीमकों ने खा लिया है
सारी रंग-बिरंगी किताबों को
क्या काले पहाड़ के नीचे दब गए हैं सारे खिलौने
क्या किसी भूकंप में ढह गई हैं
सारे मदरसों की इमारतें
क्या सारे मैदान, सारे बग़ीचे और घरों के आँगन
ख़त्म हो गए हैं एकाएक
तो फिर बचा ही क्या है इस दुनिया में?
कितना भयानक होता अगर ऐसा होता
भयानक है लेकिन इससे भी ज़्यादा यह
कि हैं सारी चीज़ें हस्बमामूल
पर दुनिया की हज़ारों सड़कों से गुज़रते हुए
बच्चे, बहुत छोटे छोटे बच्चे
काम पर जा रहे हैं।
बाल श्रम के दुष्परिणाम
बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास बाधित होता है। वे शोषण, हिंसा और दुर्घटनाओं के शिकार होते हैं।
शिक्षा से वंचित होने के कारण उनका भविष्य अंधकारमय हो जाता है और वे बच्चे नशे के दलदल मे समा जाते हैं।
बाल श्रम की वजह से गरीबी की पीढ़ी-दर-पीढ़ी श्रृंखला चलती रहती है। बच्चों में आत्मविश्वास की कमी और मानसिक तनाव जन्म लेता है।
भारत में बाल श्रम को रोकने के लिए बने कानून
भारत सरकार ने समय-समय पर कई कानूनों और नीतियों को लागू किया है:
- बाल श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को खतरनाक कार्यों में लगाना अपराध है।
- 2016 संशोधन अधिनियम के अनुसार 14 से 18 वर्ष के किशोरों को भी खतरनाक कार्यों से दूर रखने की व्यवस्था।
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के अनुसार 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था।
क्या हो रहे हैं प्रयास?
सरकार और गैर-सरकारी संगठनों ने कई सराहनीय पहल की हैं:
- मिड-डे मील योजना के द्वारा बच्चों को स्कूल मे प्रतिदिन मुफ्त भोजन।
- RTE एक्ट के तहत सरकारी स्कूलों में मुफ्त पढ़ाई और किताबें।
- नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी द्वारा अनेक बच्चों को बाल श्रम से मुक्त किया गया।
हमारी जिम्मेदारी क्या है?
- आस-पास अगर कोई बच्चा काम करता दिखे तो 1098 (बाल हेल्पलाइन) पर सूचना दें।
- बच्चों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करें और उन्हें स्कूल जाने के लिए प्रेरित करें।
- दुकान, होटल, कारखाने या किसी भी जगह पर बाल श्रमिकों को काम न दें।
- बच्चों के माता-पिता को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करें।
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस केवल एक दिन नहीं, बल्कि एक अवसर है सोचने, समझने और बदलाव लाने का। जब तक एक भी बच्चा स्कूल की जगह फैक्ट्री में मिलेगा, तब तक इस अभियान की प्रासंगिकता बनी रहेगी।
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