पंढरपुर वारी यात्रा 2025: महाराष्ट्र की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान, पंढरपुर वारी यात्रा, हर साल लाखों भक्तों को भगवान विठ्ठल के चरणों में खींच लाती है। यह एक अनोखा और पवित्र पैदल मार्च है, जहाँ वारकरी (भक्त) संतों की पालकियों के साथ पंढरपुर की ओर बढ़ते हैं। 2025 में, यह भक्तिमय यात्रा 18 जून से 6 जुलाई तक चलेगी, जिसका समापन आषाढी एकादशी के पावन दिन पर होगा।
वारी का महत्व
वारी सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है। यह त्याग, भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। वारकरी कई दिनों तक पैदल चलकर भगवान विठ्ठल के दर्शन के लिए आतुर रहते हैं। रास्ते में ‘ज्ञानोबा माऊली तुकाराम’ के जयघोष से वातावरण गुंजायमान रहता है। भजन-कीर्तन, फुगड़ी और रिंगण (गोल घेरे में दौड़ना) इस यात्रा के अभिन्न अंग हैं, जो भक्तों में नई ऊर्जा का संचार करते हैं।
2025 की वारी: प्रमुख तिथियाँ
- पालखी प्रस्थान:
- संत तुकाराम महाराज पालखी: बुधवार, 18 जून 2025 को देहू से।
- संत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी: गुरुवार, 19 जून 2025 को आळंदी से (रात 8 बजे)।
- पंढरपुर आगमन: दोनों पालखियाँ शनिवार, 5 जुलाई 2025 को पंढरपुर पहुँचेंगी।
- आषाढी एकादशी: रविवार, 6 जुलाई 2025। यह वारी का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है, जब लाखों भक्त विठ्ठल-रुक्मिणी के दर्शन करते हैं।
- पालखी परती यात्रा: गुरुवार, 10 जुलाई 2025 को दोनों पालखियाँ पंढरपुर से अपने मूल स्थानों के लिए वापसी करेंगी।
वारी का मार्ग और पड़ाव
वारी का मार्ग भक्ति और श्रद्धा से भरा होता है, जहाँ हर पड़ाव का अपना महत्व है।
संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग (देहू से पंढरपुर)
संत तुकाराम महाराज की पालखी देहू से निकलकर पुणे और सोलापुर जिलों से होते हुए पंढरपुर पहुँचती है। इस यात्रा के प्रमुख पड़ाव इस प्रकार हैं:
- 18 जून: देहू (प्रस्थान)
- 19 जून: आकुर्डी
- 20 जून: पुणे (नानापेठ)
- 21 जून: हडपसर
- 22 जून: लोणी काळभोर
- 23 जून: यवत
- 24 जून: वरवंड
- 25 जून: बारामती
- 26 जून: इंदापूर
- 27 जून: अकलूज (यहाँ रिंगण सोहळा होता है)
- 28 जून: माळशिरस
- 29 जून: नातेपुते
- 30 जून: वेळापूर
- 1 जुलाई: पंढरपुर रास्ता
- 2 जुलाई: भंडीशेगाव
- 3 जुलाई: वाखरी
- 4 जुलाई: विश्रांती
- 5 जुलाई: पंढरपुर (आगमन)
- 6 जुलाई: आषाढी एकादशी – दर्शन
संत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग (आळंदी से पंढरपुर)
संत ज्ञानेश्वर महाराज की पालखी आळंदी से शुरू होकर पुणे और सातारा जिलों से गुजरते हुए पंढरपुर पहुँचती है। इसके प्रमुख पड़ाव हैं:
- 19 जून: आळंदी (प्रस्थान, रात 8 बजे)
- 20 जून: पुणे (भवानीपेठ)
- 21 जून: पुणे (पुढील मुक्काम)
- 22 जून: सासवड
- 23 जून: सासवड (पुढील मुक्काम)
- 24 जून: जेजुरी (यहाँ भंडारा उत्सव होता है)
- 25 जून: वाल्हे
- 26 जून: लोणंद
- 27 जून: तरडगाव
- 28 जून: फलटण
- 29 जून: बरड (विश्रांतीचा दिवस)
- 30 जून: नातेपुते
- 1 जुलाई: माळशिरस
- 2 जुलाई: वेळापूर
- 3 जुलाई: भंडीशेगाव
- 4 जुलाई: वाखरी
- 5 जुलाई: पंढरपुर (आगमन)
- 6 जुलाई: आषाढी एकादशी – दर्शन
पंढरपुर वारी 2025, भक्तों के लिए एक और स्वर्णिम अवसर लाएगी जब वे अपनी श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान विठ्ठल के दर्शन कर धन्य होंगे। यह यात्रा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का जीवंत उदाहरण है।