हर साल 14 दिसंबर को भारत में ‘राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस’ (National Energy Conservation Day) मनाया जाता है। यह केवल एक तारीख नहीं, बल्कि एक संकल्प का दिन है जो हमें याद दिलाता है कि ऊर्जा सीमित है और इसका संरक्षण हमारे अस्तित्व के लिए अनिवार्य है। आधुनिक युग में जहाँ विकास की गति ऊर्जा की खपत पर निर्भर है, वहीं ऊर्जा के संसाधनों का दोहन पर्यावरण के लिए एक गंभीर संकट भी खड़ा कर रहा है। ऐसे में यह दिवस हमें “ऊर्जा की बचत ही ऊर्जा का उत्पादन है” के मूल मंत्र को आत्मसात करने का अवसर देता है।
राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस क्यों मनाया जाता है?
इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य आम जनता, उद्योगों और समाज के हर वर्ग को ऊर्जा संरक्षण के महत्व के प्रति जागरूक करना है। ऊर्जा संरक्षण का अर्थ ऊर्जा के उपयोग को बंद करना नहीं है, बल्कि व्यर्थ हो रही ऊर्जा को रोकना और कम ऊर्जा में उतना ही परिणाम प्राप्त करना है।
जब हम कोयला, पेट्रोलियम या प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuels) का उपयोग करते हैं, तो इससे न केवल संसाधन खत्म होते हैं, बल्कि पर्यावरण में कार्बन उत्सर्जन भी बढ़ता है। यह ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण है। इस दिवस के माध्यम से सरकार और संबंधित संस्थाएं लोगों को यह समझाना चाहती हैं कि हमारी छोटी-छोटी आदतें कैसे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकती हैं और धरती को रहने योग्य बनाए रख सकती हैं। साथ ही, यह दिन उन उद्योगों और संस्थानों को सम्मानित करने का भी मंच है जिन्होंने ऊर्जा दक्षता में उत्कृष्ट कार्य किया है।
इतिहास: इसकी शुरुआत क्यों और कैसे हुई?
राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस की जड़ें भारत सरकार द्वारा उठाए गए नीतिगत कदमों में निहित हैं। भारत में ऊर्जा की बढ़ती मांग और सीमित संसाधनों के बीच संतुलन बनाने के लिए भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय (Ministry of Power) के अधीन वर्ष 2002 में ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (Bureau of Energy Efficiency – BEE) की स्थापना की गई थी।
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BEE का गठन ‘ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001’ के तहत किया गया था। इस संस्था का मुख्य कार्य भारतीय अर्थव्यवस्था में ऊर्जा की प्रबलता को कम करना और ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देना था। इसी उद्देश्य को जन-जन तक पहुँचाने और जागरूकता फैलाने के लिए ऊर्जा दक्षता ब्यूरो ने 14 दिसंबर को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की। तब से लेकर आज तक, यह दिन प्रतिवर्ष ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में हुई प्रगति का जश्न मनाने और भविष्य के लिए नए लक्ष्य निर्धारित करने के लिए मनाया जाता है।
आज के दौर में ऊर्जा संरक्षण के लिए क्या किया जा रहा है?
वर्तमान समय में ऊर्जा संरक्षण केवल बिजली बचाने तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह तकनीक और जीवनशैली में बदलाव का एक बड़ा आंदोलन बन चुका है। आज भारत सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) के स्रोतों जैसे सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा को बढ़ावा दे रहे हैं ताकि पारंपरिक ईंधन पर निर्भरता कम हो सके।
तकनीकी स्तर पर भी भारी बदलाव देखे जा रहे हैं। ‘उजाला योजना’ के तहत पुराने फिलामेंट वाले बल्बों की जगह ऊर्जा-दक्ष एलईडी (LED) बल्बों ने ले ली है, जिससे भारी मात्रा में बिजली की बचत हुई है। इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए ‘स्टार रेटिंग’ सिस्टम अनिवार्य कर दिया गया है। चाहे वह एयर कंडीशनर हो या रेफ्रिजरेटर, आज उपभोक्ता ज्यादा स्टार रेटिंग वाले उपकरण खरीदते हैं क्योंकि वे कम बिजली की खपत करते हैं।

परिवहन के क्षेत्र में भी क्रांतिकारी बदलाव हो रहे हैं। पेट्रोल और डीजल वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को प्रोत्साहित किया जा रहा है। सरकार इसके लिए सब्सिडी दे रही है और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रही है। इमारतों के निर्माण में ‘ग्रीन बिल्डिंग कोड’ का पालन किया जा रहा है, जिससे दिन के समय प्राकृतिक रोशनी का उपयोग ज्यादा हो और एयर कंडीशनिंग की जरूरत कम पड़े।
भविष्य में दुनिया के लिए क्या चुनौतियाँ हैं?
भविष्य की राह आसान नहीं है। दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती बढ़ती हुई जनसंख्या और उसके साथ बढ़ती हुई ऊर्जा की मांग है। जैसे-जैसे विकासशील देश विकसित होंगे, वहां ऊर्जा की खपत कई गुना बढ़ जाएगी। यदि हम इसी तरह पारंपरिक ईंधनों का दोहन करते रहे, तो आने वाले कुछ दशकों में कोयला और तेल के भंडार समाप्त हो सकते हैं।
दूसरी और सबसे गंभीर चुनौती जलवायु परिवर्तन है। अत्यधिक ऊर्जा उत्पादन के कारण ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन धरती का तापमान बढ़ा रहा है। इसके परिणाम हमारे सामने हैं—ग्लेशियर पिघल रहे हैं, समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है और मौसम का चक्र अनियंत्रित हो गया है। भविष्य में हमें ऐसी तकनीक विकसित करनी होगी जो न केवल ऊर्जा बचाए बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान न पहुँचाए। साथ ही, नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों को चौबीस घंटे उपलब्ध कराने के लिए बेहतर ‘एनर्जी स्टोरेज सिस्टम’ (बैटरी तकनीक) विकसित करना भी एक बड़ी तकनीकी चुनौती है।
हमको क्या करना चाहिए?
ऊर्जा संरक्षण की जिम्मेदारी केवल सरकार या बड़े उद्योगों की नहीं है, बल्कि यह हर एक नागरिक का कर्तव्य है। हमें अपनी जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव लाने होंगे जो सामूहिक रूप से बड़ा प्रभाव डाल सकें।
सबसे पहले, हमें अपनी आदतों को सुधारना होगा। जिस कमरे में कोई न हो, वहां की लाइट और पंखे बंद करने चाहिए। दिन के समय खिड़कियां खोलकर प्राकृतिक रोशनी का उपयोग करना चाहिए। पुराने और ज्यादा बिजली खाने वाले उपकरणों की जगह 5-स्टार रेटिंग वाले उपकरणों का प्रयोग करना एक समझदारी भरा कदम है। पानी बचाने से भी ऊर्जा की बचत होती है क्योंकि पानी को हमारे घरों तक पहुँचाने में मोटर और पंप के जरिए भारी बिजली खर्च होती है।
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निजी वाहनों का उपयोग कम करके सार्वजनिक परिवहन (Public Transport) या कारपूलिंग को अपनाना चाहिए। यदि संभव हो, तो अपने घरों की छतों पर सोलर पैनल लगवाकर हम न केवल अपनी जरूरत पूरी कर सकते हैं, बल्कि अतिरिक्त बिजली ग्रिड को देकर राष्ट्र की मदद भी कर सकते हैं।
राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को कैसी पृथ्वी सौंपना चाहते हैं। आज बचाई गई ऊर्जा ही कल का सुरक्षित भविष्य है।
