सुरेश उपाध्याय नई दिल्ली : पिछले साल तिरुपति मंदिर में प्रसाद के लड्डू बनाने में पशुओं की चर्बी मिले घी के इस्तेमाल का मामला सामने आया था। मामला आस्था का था, तो इस पर काफी विवाद हुआ था और पूरे देश में खाद्य सुरक्षा पर खासी बहस हुई थी। तब लग रहा था कि खाद्य सुरक्षा को केंद्र और राज्य सरकारें संजीदगी से लेंगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब भी देश के तमाम बाजारों में नकली घटिया और प्रदूषित फूड आइटम्स धड़ल्ले से बिक रहे हैं। दूरदराज के इलाकों में तो नकली और घटिया किस्म के खाद्य पदार्थों की बिक्री…
Author: Hemant Upadhyay
सुरेश उपाध्याय, नई दिल्ली: पेटेंटेड दवाओं के मनमाने दाम आम भारतीयों की जेब पर बहुत भारी पड़ रहे हैं और इन पर लगाम लगाने के मामले में सरकार की खामोशी बरकरार है। इसके कारण दवा कंपनियां ऐसी तमाम दवाओं को मनमाने दामों पर बेचने के लिए आजाद हैं और लोगों के पास इस मनमानी को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। कई संगठन और हेल्थ वर्कर्स सरकार से पेटेंटेड दवाओं के दामों की भी कैपिंग करने की मांग कर चुके हैं, लेकिन कोई नतीजा सामने नहीं आया है। वह भी तब, जब एनडीए सरकार काफी पहले इन दवाओं…
सुरेश उपाध्याय:- इस देश में किसी भी नियम कानून या रोक का कोई मतलब नहीं है। अगर ऐसा होता प्रतिबंध के बावजूद देश में एक ‘जहर’ की बिक्री धड़ल्ले से नहीं हो रही होती रही, खासकर उत्तर भारत के राज्यों में। वैसे, यह एक जरूरी हॉर्मोन है, लेकिन अगर इसे बिना जरूरत के लिया जाए तो यह जहर का काम करता है और शरीर के अहम अंगों को खासा नुकसान पहुंचा सकता है। इस हॉर्मोन का नाम ऑक्सीटोसिन है इसका फलों, सब्जियों को जल्दी बड़ा करने और दुधारू पशुओं से ज्यादा दूध हासिल करने के लिए लंबे समय से दुरुपयोग…
सुरेश उपाध्याय एनडीए सरकार का 24 घंटे बिजली देने का वादा महज एक वादा बनकर रह गया है। हर साल की तरह इस बार भी गर्मियों के मौसम में देश के तमाम इलाकों में लंबे समय तक बिजली कटौती जारी है और सरकार मांग को पूरा करने में नाकाम साबित हो रही है। यह स्थिति उत्तराखंड जैसे उस राज्य में भी है जहां तमाम पनबिजली परियोजनाएं लगाई गई हैं। यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में एक के बाद एक सारे ग्रिड फेल हो गए थे। इसके कारण रेलें अपनी जगह रुक गई थीं और अस्पतालों समेत तमाम इमरजेंसी सेवाओं तक…
अमृता प्रीतम जयंती विशेष:- “मैं तुझे फिर मिलूँगी… कहाँ कैसे पता नहीं, शायद तेरी कल्पनाओं की प्रेरणा बन तेरे कैनवास पर उतरुँगी, या तेरे कैनवास पर एक रहस्यमयी लकीर बन ख़ामोश तुझे देखती रहूँगी मैं तुझे फिर मिलूँगी कहाँ कैसे पता नहीं” – यह पंक्ति केवल कविता नहीं, बल्कि अमृता प्रीतम की आत्मा की झलक है। भारतीय साहित्य मे अनेक महनतम विभूतियाँ हुई हैं, परंतु कुछ नाम समय की धूल में कभी खोते नहीं। उन्हीं में से एक हैं-अमृता प्रीतम। वे एक ऐसी लेखिका थीं जिनकी लेखनी ने प्रेम को भी शब्द दिए ,पीड़ा और विद्रोह को भी दिशा दी…
सुरेश उपाध्याय। पैसा कमाना कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन अगर किसी में पैसे की हवस पैदा हो जाए और वह लोगों की जिंदगी, समाज और पर्यावरण पर भारी पड़ने लगे तो हालात खतरनाक हो जाते हैं। पिछले कुछ सालों में इस देश के नेताओं, अफसरों और पूंजीपतियों के गठजोड़ ने देश में ऐसे ही खतरनाक हालात पैदा कर दिए हैं। ये पैसे के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं, भले ही इसकी भारी कीमत आम जनता को क्यों न चुकानी पड़े। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या देश ने 2013 की केदारनाथ आपदा से कोई सबक…
देवभूमि उत्तराखंड को रत्नगर्भा भी कहा गया है। यहां सदियों से ऐसे सन्त और महापुरुष जन्मे जिन्होंने सदैव मनसा, वाचा और कर्मणा से देश व समाज के लिए अपना जीवन समर्पित किया और राष्ट्र को नई दिशा दी। इन्हीं महान विभूतियों में से एक महान विभूति थे उत्तराखंड राज्य आंदोलन के महानायक इन्द्रमणि बडोनी , जिन्हें “पर्वतीय गांधी” कहा गया। उन्होंने पृथक राज्य उत्तराखंड की स्थापना के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। शासन के जुल्मों के बावजूद वह अहिंसक संघर्ष करते रहे और अलग पर्वतीय राज्य की आवाज़ को बुलंद करते रहे। उन्होंने उत्तराखंड राज्य आंदोलन को जन–जन तक…
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025: विश्व में भारत की ऋषि परंपरा की गूंज 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर, संपूर्ण विश्व भारत की ऋषि परंपरा का अनुसरण कर, योग की शक्ति को महसूस करेगा। योग हमारे ऋषि मुनियों की सम्पूर्ण विश्व को एक ऐसी देन है, जिसने वैश्विक पटल पर भारत को हमेशा से ही शीर्ष पर विराजमान किया है। योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः योग का अर्थ है “चित्त की अशांत वृत्तियों को शांत करना। जब चित्त शांत होता है, तो हम आत्मा का अनुभव कर सकते हैं।” योग दिवस कब और क्यों मनाया जाता है? योग के अनगिनत लाभ हैं…
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस 2025: बाल श्रम केवल एक कानूनी या सामाजिक मुद्दा नहीं है, यह एक ऐसा गंभीर विषय है जिनमे भारत का भविष्य छुपा है बच्चे हमारे देश की नींव है और बाल श्रम इस नींव का विध्वंश कर रहा है। एक बच्चे को किताबों से दूर करके हम सिर्फ उसका वर्तमान नहीं, बल्कि भविष्य भी छीन लेते हैं। हर वर्ष 12 जून को दुनिया भर में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस (World Day Against Child Labour) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य समाज और सरकारों का ध्यान उस कड़वी सच्चाई की ओर आकर्षित…
उत्तराखंड सिर्फ देवभूमि ही नहीं बल्कि वीरों की भी भूमि रही है इस भूमि पर अनेक ऐसे वीर पैदा हुए हैं जिन्होंने इस धरा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। आजादी के पहले से लेकर आज तक यह भूमि अनेक वीरों को जन्म देती आई है और उन वीरों के शौर्य की गाथाएँ आज भी सम्पूर्ण देश मे बताई जाती है ऐसे ही एक देशभक्त और स्वतंत्रता सेनानी हुए हैं “वीर केसरी चंद”। वीर केसरी चंद्र उत्तराखंड के जौनसार-बावर क्षेत्र ‘वर्तमान समय के देहरादून’ ज़िले के एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने आज़ाद हिंद फौज में शामिल होकर देश…