हर साल 4 दिसंबर को भारत में भारतीय नौसेना दिवस (Indian Navy Day) बड़े उत्साह, गर्व और राष्ट्रीय भावना के साथ मनाया जाता है। यह दिन न केवल हमारे जल-वीरों के अदम्य साहस और असाधारण सेवा को समर्पित है, बल्कि यह उस ऐतिहासिक सैन्य सफलता का प्रतीक भी है जिसने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में देश की जीत की नींव रखी थी। भारतीय नौसेना दिवस हमें याद दिलाता है कि समुद्री सीमाएं देश की सुरक्षा के लिए कितनी महत्वपूर्ण हैं और इन जल-सीमाओं की रक्षा करने वाले जांबाजों का बलिदान अमूल्य है। यह दिवस भारतीय नौसेना की शक्ति, व्यावसायिकता और राष्ट्र के प्रति अटूट समर्पण को सम्मान देने का एक राष्ट्रीय अवसर है।
भारतीय नौसेना की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: स्थापना कब हुई?
भारतीय नौसेना का इतिहास अत्यंत गौरवशाली और पुराना है, जिसकी जड़ें सदियों पुरानी भारतीय समुद्री परंपराओं में निहित हैं।
- मूल स्थापना (1612): आधुनिक भारतीय नौसेना की स्थापना 17वीं शताब्दी की शुरुआत में मानी जाती है। 5 सितंबर, 1612 को ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने व्यापारिक हितों की रक्षा और जहाजों की सुरक्षा के लिए सूरत, गुजरात में एक समुद्री बल का गठन किया। इसे ‘ईस्ट इंडिया कंपनी की मरीन’ (East India Company’s Marine) के नाम से जाना जाता था, जिसे बाद में ‘बॉम्बे मरीन’ और फिर ‘रॉयल इंडियन मरीन’ कहा गया।
- स्वतंत्रता के बाद (1950): 15 अगस्त, 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद, देश के सशस्त्र बलों का पुनर्गठन हुआ। 26 जनवरी, 1950 को जब भारत एक गणतंत्र बना, तब ‘रॉयल इंडियन नेवी’ का नाम बदलकर औपचारिक रूप से ‘भारतीय नौसेना’ (Indian Navy) कर दिया गया और ‘रॉयल’ शब्द को हटा दिया गया। इस प्रकार, एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में भारतीय नौसेना की आधिकारिक स्थापना 1950 में हुई।
आज, भारतीय नौसेना दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी और हिंद महासागर क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण शक्ति है। इसका आदर्श वाक्य है: “शं नो वरुणः” (Shan No Varunah), जिसका अर्थ है “जल के देवता वरुण हमारे लिए शुभ हों”।
भारतीय नौसेना दिवस की शुरुआत: कैसे और कब?
भारतीय नौसेना दिवस की शुरुआत किसी सामान्य स्थापना दिवस के रूप में नहीं, बल्कि भारतीय नौसेना के इतिहास के सबसे साहसी और सफलतम सैन्य अभियान की यादगार जीत के रूप में हुई।
1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध और ‘ऑपरेशन त्रिशूल’ (Operation Trident)
भारतीय नौसेना दिवस मनाए जाने का कारण सीधे तौर पर 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध से जुड़ा हुआ है।
- पाक का हमला: 3 दिसंबर 1971 को, पाकिस्तान ने अचानक भारतीय हवाई क्षेत्रों पर हमला कर युद्ध की शुरुआत कर दी।
- ऑपरेशन त्रिशूल (4 दिसंबर, 1971): पाकिस्तान के हमले के जवाब में, भारतीय नौसेना ने एक साहसी और गुप्त नौसैनिक अभियान की योजना बनाई, जिसे ‘ऑपरेशन त्रिशूल’ (Operation Trident) नाम दिया गया। इस ऑपरेशन का मुख्य लक्ष्य पाकिस्तान के सबसे महत्वपूर्ण और सुरक्षित नौसैनिक अड्डे, कराची बंदरगाह, को नष्ट करना था।
- अभियान की सफलता: 4 दिसंबर की रात को, भारतीय नौसेना के जांबाजों ने, अपनी मिसाइल नौकाओं (Missile Boats) के साथ, कराची बंदरगाह पर एक विनाशकारी हमला किया। इस हमले ने पाकिस्तानी नौसेना को भारी नुकसान पहुँचाया।
- भारतीय नौसेना ने एक फ्रिगेट (PNS Muhafiz), एक विध्वंसक (PNS Khyber) और एक तेल टैंकर सहित कई पाकिस्तानी युद्धपोतों को नष्ट कर दिया।
- कराची बंदरगाह पर तेल भंडारण टैंकों (Oil Storage Tanks) को भी तहस-नहस कर दिया गया, जिससे कराची में आग की लपटें कई दिनों तक दिखाई देती रहीं।
- भारतीय नौसेना ने इस ऑपरेशन को बिना किसी भी तरह के नुकसान के सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
दिवस मनाने का निर्णय
‘ऑपरेशन त्रिशूल’ की अभूतपूर्व सफलता भारतीय नौसेना के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुई। इस जीत ने युद्ध की दिशा बदल दी और भारतीय नौसेना की ताकत और दक्षता को विश्व पटल पर स्थापित किया। मई 1972 में हुए एक वरिष्ठ नौसेना अधिकारी सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया कि भारतीय नौसेना की इस अविस्मरणीय जीत और उसके वीर जवानों के बलिदान को याद करने के लिए, 4 दिसंबर को प्रतिवर्ष भारतीय नौसेना दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
यह भी पढ़े: 16 दिसंबर को मनाया जाता है विजय दिवस, जानें इस दिन से जुड़े कुछ सवालों के जबाब
भारतीय नौसेना दिवस का महत्व और उद्देश्य
भारतीय नौसेना दिवस केवल एक छुट्टी या समारोह नहीं है; यह राष्ट्रीय चेतना को जगाने वाला एक महत्वपूर्ण दिन है।
- वीरों का सम्मान और श्रद्धांजलि: यह दिन उन वीर नौसैनिकों को श्रद्धांजलि देने का अवसर है जिन्होंने देश की समुद्री सीमाओं की रक्षा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। यह उन सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मियों के समर्पण और वीरता का सम्मान करता है जो राष्ट्र की सेवा में लगे हुए हैं।
- ऑपरेशन त्रिशूल की याद: यह दिन ‘ऑपरेशन त्रिशूल’ की सफलता का वार्षिक उत्सव है, जिसने भारतीय नौसेना की आक्रामक क्षमता और पेशेवर युद्ध कौशल को प्रदर्शित किया।
- समुद्री जागरूकता को बढ़ावा: भारत की एक लंबी तटरेखा (लगभग 7516 किमी) है। यह दिवस आम नागरिकों, विशेषकर युवाओं में, देश की समुद्री सुरक्षा और समृद्ध समुद्री विरासत के बारे में जागरूकता बढ़ाने का काम करता है।
- नौसेना की भूमिका का प्रदर्शन: इस दिन विभिन्न नौसैनिक अड्डों पर नौसैनिक प्रदर्शन (Operational Demonstrations) आयोजित किए जाते हैं। इनमें युद्धपोतों, पनडुब्बियों, विमानों और हेलीकॉप्टरों द्वारा अपनी शक्ति और तालमेल का प्रदर्शन किया जाता है। इससे लोगों को नौसेना की बहु-क्षेत्रीय क्षमताओं को समझने का मौका मिलता है।
- राष्ट्र निर्माण में योगदान: नौसेना केवल युद्ध के समय ही नहीं, बल्कि शांति काल में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जैसे कि प्राकृतिक आपदाओं के दौरान मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) कार्य, समुद्री डकैती से सुरक्षा, तस्करी पर रोक, और भारतीय नागरिकों को विदेशी संकटों से निकालना (उदाहरण: ऑपरेशन राहत)। नौसेना दिवस उनकी इस व्यापक भूमिका को उजागर करता है।
समारोह और मुख्य आकर्षण
नौसेना दिवस के समारोह पूरे देश में मनाए जाते हैं, लेकिन सबसे भव्य प्रदर्शन आमतौर पर पश्चिमी नौसेना कमान (Western Naval Command) के मुख्यालय, मुंबई में होता है। हालांकि, हाल के वर्षों में नौसेना ने जनता से जुड़ाव बढ़ाने के लिए समारोहों को देश के अन्य तटीय शहरों में भी आयोजित करना शुरू कर दिया है।
- नेवल ऑपरेशनल डिस्प्ले (Naval Operational Display): इस प्रदर्शन में युद्धपोतों का फ्लाई-पास्ट, पनडुब्बियों का प्रदर्शन, मिग-29के (MiG-29K) जैसे फाइटर जेट्स और हेलीकॉप्टरों द्वारा हैरतअंगेज हवाई करतब शामिल होते हैं। यह नौसेना की मारक क्षमता और दक्षता का एक जीवंत प्रदर्शन होता है।
- बीटिंग द रिट्रीट (Beating the Retreat): 4 दिसंबर से पहले नौसेना बैंड द्वारा संगीतमय प्रदर्शन और एक औपचारिक ‘बीटिंग द रिट्रीट’ समारोह आयोजित किया जाता है।
- मेडल और पुरस्कार: नौसेना के अधिकारियों और नाविकों को उनकी उत्कृष्ट सेवा और बहादुरी के लिए विशिष्ट सेवा मेडल और अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है।
- ओपन डेज़ (Open Days): कुछ युद्धपोतों और नौसैनिक प्रतिष्ठानों को आम जनता के लिए खोल दिया जाता है, ताकि लोग नौसेना के कार्य और जहाजों को करीब से देख सकें।
भारतीय नौसेना: वर्तमान और भविष्य
आज की भारतीय नौसेना एक आधुनिक, तकनीकी रूप से उन्नत और शक्तिशाली बल है जो देश की आर्थिक और रणनीतिक सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
- आत्मनिर्भरता (Self-Reliance): नौसेना ‘मेक इन इंडिया’ (Make in India) पहल में सबसे आगे रही है। देश का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत, आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant), इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
- नीली जल नौसेना (Blue Water Navy): भारतीय नौसेना अपनी पहुंच हिंद महासागर से भी आगे बढ़ा रही है और एक ‘ब्लू वाटर नेवी’ के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है, जो दूर-दराज के महासागरों में संचालन करने में सक्षम है।
- समुद्री सुरक्षा प्रदाता: यह न केवल भारत की सीमाओं की रक्षा करती है, बल्कि पूरे हिंद महासागर क्षेत्र में एक नेट सुरक्षा प्रदाता (Net Security Provider) की भूमिका भी निभाती है, जो पड़ोसी और मित्र देशों को समुद्री सुरक्षा प्रदान करती है।
- वैश्विक उपस्थिति: नौसेना संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों, अंतरराष्ट्रीय समुद्री अभ्यासों और विदेशी बंदरगाहों के दौरे के माध्यम से भारत की वैश्विक छवि को मजबूत करती है।
यह भी पढ़े: हर साल 1 दिसंबर को क्यों मनाया जाता है विश्व एड्स दिवस, जानिए इसका इतिहास।
भारतीय नौसेना दिवस, 4 दिसंबर, एक ऐसा दिन है जब राष्ट्र अपने समुद्री योद्धाओं के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करता है। यह 1971 की उस रात की याद दिलाता है जब भारतीय नौसेना ने ‘ऑपरेशन त्रिशूल’ चलाकर यह सिद्ध कर दिया था कि भारत की समुद्री सीमाएं पूर्णतः सुरक्षित हैं।
भारतीय नौसेना, अपने आदर्श वाक्य “शं नो वरुणः” के साथ, यह सुनिश्चित करती है कि हमारे राष्ट्र का समुद्री मार्ग हमेशा शांत और सुरक्षित रहे। यह दिन हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है, जो हमें इन बहादुर पुरुषों और महिलाओं के शौर्य, त्याग और बलिदान को नमन करने और उन्हें सलाम करने का अवसर देता है। राष्ट्र को नौसेना की क्षमताओं और भविष्य के लिए उनकी महत्वाकांक्षाओं पर पूरा भरोसा है, क्योंकि वे भारत के हितों की रक्षा में सदैव तत्पर हैं।

