आज 16 अक्टूबर को राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) का 41वां स्थापना दिवस (NSG Raising Day) है। यह वह दिन है जब 1984 में भारत सरकार ने एक ऐसी एलीट फोर्स की नींव रखी, जो आतंकवाद के खिलाफ देश की ढाल बन गई। NSG, जिसे प्यार से ‘काली बिल्लियां’ कहा जाता है, न केवल एक सैन्य इकाई है, बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा का प्रतीक है। उनके काले यूनिफॉर्म, अटूट साहस और सटीक कार्रवाइयों ने कई संकटों में भारत को बचाया है। इस विशेष अवसर पर, हम एनएसजी की स्थापना, इसकी आवश्यकता, कार्यों और इसमें शामिल होने के तरीकों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। यह लेख एनएसजी के गौरवशाली इतिहास को उजागर करेगा, जो हर भारतीय के लिए प्रेरणा स्रोत है।
NSG की स्थापना: एक ऐतिहासिक शुरुआत
NSG की स्थापना का इतिहास भारत के सबसे दर्दनाक अध्यायों से जुड़ा हुआ है। 1980 के दशक में, भारत आतंकवाद और सांप्रदायिक हिंसा की चपेट में था। विशेष रूप से, पंजाब में खालिस्तान आंदोलन ने देश की एकता को चुनौती दी थी। 1984 का ऑपरेशन ब्लू स्टार इसकी चरम सीमा था। अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में सिख चरमपंथियों ने कब्जा जमा लिया था, और सेना को वहां घुसना पड़ा। इस ऑपरेशन में भारी जानमाल का नुकसान हुआ – अनुमानित रूप से 500 से अधिक लोग मारे गए, और यह घटना प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का कारण बनी। इसके बाद पूरे देश में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे, जिसमें हजारों निर्दोष लोग मारे गए।
इन घटनाओं ने सरकार को झकझोर दिया। सेना की सामान्य इकाइयां आतंकवादी स्थितियों में कुशल नहीं साबित हो रही थीं। ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद एक टास्क फोर्स का गठन किया गया, जिसकी अध्यक्षता उप-प्रधानमंत्री आर. वेंकटरामन ने की। इस टास्क फोर्स ने सिफारिश की कि एक विशेष फेडरल कंटिंजेंसी फोर्स बनाई जाए, जो आतंकवाद से निपटने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित हो। इसके परिणामस्वरूप, 16 अक्टूबर 1984 को एनएसजी की स्थापना की घोषणा की गई। यह तारीख आज एनएसजी का आधिकारिक स्थापना दिवस मानी जाती है।
हालांकि, विधिवत रूप से इसे मान्यता 1986 में मिली। 1986 में संसद में नेशनल सिक्योरिटी गार्ड एक्ट पेश किया गया, जो अगस्त में पेश हुआ और 22 सितंबर 1986 को राष्ट्रपति की मंजूरी से कानून बन गया। इस एक्ट ने एनएसजी को एक स्वतंत्र इकाई का दर्जा दिया, जो कैबिनेट सेक्रेटेरिएट के अधीन कार्य करती है, लेकिन प्रशासनिक नियंत्रण गृह मंत्रालय के पास है। एनएसजी का मॉडल ब्रिटेन की SAS (स्पेशल एयर सर्विस) और जर्मनी की GSG-9 पर आधारित है। शुरुआत में, जून 1984 में ही एक न्यूक्लियस टीम का गठन हो गया था, जिसमें डायरेक्टर जनरल और अन्य आवश्यक सदस्य शामिल थे। पहले कमांडो सेंटर मानेसर, हरियाणा में स्थापित किया गया, जो आज भी एनएसजी का मुख्यालय है।
आज, 41 वर्षों बाद, एनएसजी 10,000 से अधिक कमांडो के साथ देश भर में फैली हुई है, जिसमें क्षेत्रीय हब जैसे हैदराबाद, चेन्नई, मुंबई, कोलकाता और ग्वालियर शामिल हैं। स्थापना दिवस पर, एनएसजी के कमांडो पैराशूट जंप, मॉक ड्रिल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करते हैं, जो राष्ट्र को उनकी प्रतिबद्धता की याद दिलाते हैं।
NSG की आवश्यकता: आतंकवाद के खिलाफ एक विशेष ढाल
अब सवाल उठता है – NSG की जरूरत क्यों पड़ी? 1980 के दशक में भारत कई चुनौतियों का सामना कर रहा था। ऑपरेशन ब्लू स्टार के अलावा, विमान अपहरण, बम विस्फोट और सीमा पार आतंकवाद आम हो गए थे। 1984 में ही इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट 423 का अपहरण हो गया, जो दुबई में उतारा गया। ऐसे मामलों में सेना या पुलिस की सामान्य इकाइयां अपर्याप्त साबित हो रही थीं। सेना तो युद्ध के लिए प्रशिक्षित है, लेकिन शहरी क्षेत्रों में हाईजैकिंग या हॉस्टेज क्राइसिस में न्यूनतम क्षति के साथ कार्रवाई करना एक विशेष कौशल है।
सरकार ने महसूस किया कि एक केंद्रीकृत फोर्स की आवश्यकता है, जो पूरे देश में तैनात हो सके और तुरंत प्रतिक्रिया दे सके। राज्य पुलिस या केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) जैसे CRPF में क्षमता की कमी थी। एनएसजी को ‘फेडरल कंटिंजेंसी फोर्स’ के रूप में डिजाइन किया गया, जो केवल असाधारण स्थितियों में तैनात होती है, न कि दैनिक कानून-व्यवस्था के लिए। इसका दर्शन सरल है: ‘स्विफ्ट एंड स्पीडी स्ट्राइक एंड इमीडिएट विदड्रॉल’ – तेज हमला और तत्काल पीछे हटना।
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इसकी जरूरत को 2008 के मुंबई हमलों ने और रेखांकित किया। 26/11 को 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला किया, जिसमें 166 लोग मारे गए। एनएसजी को दिल्ली से मुंबई पहुंचने में देरी हुई, जिससे सबक मिला कि क्षेत्रीय हब मजबूत करने होंगे। उसके बाद, 2009 में हैदराबाद, 2010 में चेन्नई जैसे हब बने। एनएसजी ने न केवल आतंकवाद को रोका, बल्कि राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया। आज, जब वैश्विक आतंकवाद बढ़ रहा है, एनएसजी की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है।
NSG के कार्य: देश की सुरक्षा का आधार
NSG एक बहुआयामी फोर्स है, जो आतंकवाद के हर पहलू से निपटने के लिए तैयार रहती है। इसका प्राथमिक कार्य काउंटर-टेररिज्म है – आतंकवादी घटनाओं में हस्तक्षेप, हॉस्टेज रेस्क्यू और बम डिस्पोजल। एनएसजी को चार मुख्य समूहों में बांटा गया है:
NSG की संरचना
- स्पेशल एक्शन ग्रुप (SAG): एनएसजी का कोर, भारतीय सेना से लिया जाता है। हाई-रिस्क ऑपरेशंस जैसे हाईजैकिंग, पोस्ट-ब्लास्ट इन्वेस्टिगेशन और VIP सिक्योरिटी के लिए जिम्मेदार।
- स्पेशल रेंजर ग्रुप (SRG): CAPF और राज्य पुलिस से आता है, जो लॉजिस्टिक्स, कम्युनिकेशन और इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस संभालता है।
- स्पेशल कंपोजिट ग्रुप (SCG): मिश्रित टीम, जो क्षेत्रीय हब में तैनात रहती है।
- नेशनल बॉम्ब डेटा सेंटर (NBDC): 1988 में स्थापित, बम विस्फोटों का डेटाबेस रखता है और 2000 में इसका विस्तार हुआ।
NSG के प्रमुख कार्य
- काउंटर-टेररिज्म ऑपरेशंस: आतंकवादी ठिकानों पर छापेमारी, जैसे 1988 का ऑपरेशन ब्लैक थंडर (स्वर्ण मंदिर में दोबारा चरमपंथी घुसपैठ)।
- एंटी-हाईजैकिंग: विमान या जहाज अपहरण में हस्तक्षेप। 1999 के कंधार हाईजैकिंग में एनएसजी तैनात हुई।
- बॉम्ब डिस्पोजल: IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) का पता लगाना और निष्क्रिय करना।
- पोस्ट-ब्लास्ट इन्वेस्टिगेशन: विस्फोट स्थलों पर जांच।
- VIP सिक्योरिटी: महत्वपूर्ण व्यक्तियों की सुरक्षा, जैसे एयर मार्शल प्रोग्राम में विमानों पर NSG ऑपरेटर।
NSG ने कई ऐतिहासिक ऑपरेशंस में सफलता हासिल की। 2001 के संसद हमले के बाद ऑपरेशन अश्वमेध में महत्वपूर्ण स्थलों की सुरक्षा की। 2002 के अक्षरधाम मंदिर हमले में आतंकवादियों को मार गिराया। 2008 के मुंबई हमलों में ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो ने होटलों को क्लियर किया। 2016 के पठानकोट एयरबेस हमले और 2019 के पुलवामा के बाद भी उनकी भूमिका सराहनीय रही। एनएसजी 24×7 तैयार रहती है, और उनका मोटो ‘सर्वत्र सर्वोत्तम सुरक्षा’ (हर जगह सर्वश्रेष्ठ सुरक्षा) उनकी प्रतिबद्धता दर्शाता है।
NSG में भर्ती: एक कठिन लेकिन गौरवपूर्ण रास्ता
NSG में जाना कोई आसान यात्रा नहीं है। NSG भर्ती केवल स्वयंसेवकों से होती है, जो पहले से भारतीय सेना, CAPF (जैसे CRPF, BSF) या राज्य पुलिस में सेवा दे रहे हों। डायरेक्ट एंट्री नहीं है; यह डेपुटेशन बेस्ड फोर्स है। योग्यता मानदंड सख्त हैं:
योग्यता मानदंड
- आयु सीमा: 35 वर्ष से कम।
- सेवा अवधि: सेना के लिए न्यूनतम 3 वर्ष, CAPF/पुलिस के लिए 5 वर्ष।
- शारीरिक मानक: ऊंचाई पुरुषों के लिए 170 सेमी, महिलाओं के लिए 157 सेमी; वजन और छाती माप अनुपातिक।
- चिकित्सकीय फिटनेस: पूर्ण रूप से फिट, कोई पुरानी बीमारी नहीं।
- शिक्षा: ग्रेजुएट या समकक्ष, लेकिन प्राथमिकता अनुभवी सैनिकों को।
महिलाओं को 2012 से शामिल किया गया है, मुख्य रूप से CAPF से। चयन प्रक्रिया तीन चरणों में होती है, और ड्रॉपआउट रेट 70-80% है।
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चयन प्रक्रिया
- प्री-सेलेक्शन: फिजिकल टेस्ट – दौड़ (5 किमी 25 मिनट में), पुश-अप्स (50), सिट-अप्स (50), चिन-अप्स (8); मनोवैज्ञानिक टेस्ट।
- बेसिक NSG ट्रेनिंग: 14 महीने का कोर्स मानेसर के NSG ट्रेनिंग सेंटर (NSGTC) में। तीन फेज – फाउंडेशन (बेसिक कॉम्बैट), एडवांस्ड (विशेष हथियार, CQB – क्लोज क्वार्टर बैटल) और स्पेशलाइजेशन (हाईजैकिंग, बम डिफ्यूजिंग)। ट्रेनिंग में पैराशूटिंग, फ्री फॉल, नाइट ऑपरेशंस, मार्शल आर्ट्स (जैसे Krav Maga) और विदेशी विशेषज्ञों से प्रशिक्षण शामिल।
- एडवांस्ड ट्रेनिंग: विशेष कौशल विकास।
सफल उम्मीदवारों को SAG या SRG में नियुक्ति मिलती है। वेतन आकर्षक है – कैंटोनमेंट पे, स्पेशल इंसेंटिव और रिस्क अलाउंस के साथ 60,000 से 1 लाख रुपये मासिक। लेकिन यह सेवा जीवन भर की चुनौती है – परिवार से दूर रहना, लगातार ट्रेनिंग।
NSG में शामिल होने का सपना: क्या करें?
अगर कोई NSG में जाना चाहता है, तो पहला कदम भारतीय सेना या CAPF में शामिल होना है। सेना के लिए NDA/CDS परीक्षा दें, CAPF के लिए UPSC CAPF एग्जाम। सेवा पूरी होने पर NSG भर्ती नोटिफिकेशन का इंतजार करें, जो MHA वेबसाइट या यूनिट के माध्यम से जारी होते हैं। आवेदन ऑनलाइन या यूनिट स्तर पर करें।
तैयारी के लिए टिप्स
- फिजिकल फिटनेस: रोज दौड़ें, जिम करें, योगा अपनाएं।
- मेंटल स्ट्रेंथ: स्ट्रेस मैनेजमेंट बुक पढ़ें, मेडिटेशन करें।
- स्किल्स: शूटिंग क्लब जॉइन करें, मार्शल आर्ट सीखें।
- अपडेट रहें: NSG.gov.in पर जाकर जानकारी लें।
NSG में शामिल होना राष्ट्रसेवा का सर्वोच्च रूप है। कई पूर्व सैनिक कहते हैं कि यह चुनौतीपूर्ण लेकिन संतुष्टिदायक है। युवाओं से अपील है – अगर आपमें साहस है, तो इस रास्ते पर चलें।
NSG का स्थापना दिवस हमें याद दिलाता है कि सुरक्षा की कीमत साहस से चुकाई जाती है। 41 वर्षों में, एनएसजी ने सैकड़ों जिंदगियां बचाईं और आतंक को कुचला। उनके बलिदान को सलाम! भारत माता की जय।