सुरेश उपाध्याय
एनडीए सरकार का 24 घंटे बिजली देने का वादा महज एक वादा बनकर रह गया है। हर साल की तरह इस बार भी गर्मियों के मौसम में देश के तमाम इलाकों में लंबे समय तक बिजली कटौती जारी है और सरकार मांग को पूरा करने में नाकाम साबित हो रही है। यह स्थिति उत्तराखंड जैसे उस राज्य में भी है जहां तमाम पनबिजली परियोजनाएं लगाई गई हैं।
यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में एक के बाद एक सारे ग्रिड फेल हो गए थे। इसके कारण रेलें अपनी जगह रुक गई थीं और अस्पतालों समेत तमाम इमरजेंसी सेवाओं तक का काम ठप हो गया था। तब एक ऐसा विकल्प तैयार करने की बात कही गई थी, जिससे बिजली की सप्लाई किसी भी समय न रुके।
एनडीए का बिजली सप्लाई प्लान अब तक अधर में
एनडीए सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में पूरे देश में चौबीसों घंटे बिजली सप्लाई देने का इरादा जाहिर किया था। इसे अब तक अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है। सरकार का इरादा बिजली को सेव करके परंपरागत बिजली जाने पर सप्लाई देने का था। तब यह भी कहा गया था कि इस स्कीम की शुरुआत बिहार से की जाएगी।
इसके लिए हर राज्य में एनर्जी स्टोर करने और उसकी सप्लाई के लिए अलग नेटवर्क तैयार किया जाना था। सरकार का इरादा बैटरियों की मदद से बिजली स्टोर करने और परंपरागत बिजली जाने पर सप्लाई देने का था। इस योजना पर खर्च काफी आने के आसार थे। संभवतः इसी कारण इस पर अमल नहीं हो पा रहा है।
बहरहाल, इस योजना पर अमल न होने का नतीजा यह है कि अब भी देश के तमाम इलाकों में बिजली की सप्लाई ठप होने पर सार्वजनिक नेटवर्क से बिजली नहीं मिल पाती। ऐसा सिर्फ ग्रामीण इलाकों ही नहीं, देश के तमाम महानगरों में भी हो रहा है। खासकर गर्मियों के मौसम में बिजली जाने पर लोग घंटों परेशान रहते हैं।
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चौबीसों घंटे बिजली का प्लान सिर्फ कागजों में
अभी देश में तमाम स्रोतों से करीब चार लाख 58 हजार मेगावॉट बिजली बनाई जा रही है। इसमें सबसे ज्यादा बिजली कोयले से बन रही है।
बढ़ती औद्योगिक गतिविधियों और अन्य कारणों से पीक आवर्स में बिजली की मांग पूरी नहीं हो पा रही है। इसके अलावा कोई तकनीकी दिक्कत होने पर भी बिजली सप्लाई ठप हो जाती है। इसी के विकल्प के रूप में चौबीसों घंटे बिजली देने का प्लान तैयार किया गया था, लेकिन इस पर अमल ठप पड़ा है।
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By :-सुरेश उपाध्याय
संपादक :-हेमंत उपाध्याय