कृष्ण जन्माष्टमी: इस साल कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार 26 अगस्त को मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान कृष्ण ने धरती पर अवतार लिया था। इस त्योहार की धूम पूरे देश में देखने को मिलती है। मंदिरों में यशोदा नंदन के दर्शन के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है। इस दिन भक्तजन उनकी पूजा करते हैं, भजन गाते हैं और उपवास भी रखते हैं। आपको बता दें कि मधुसूदन की पूजा उनके कुछ प्रिय भोगों के बिना अधूरी मानी जाती है, जिसमें पंजीरी, पंचामृत और माखन-मिश्री शामिल हैं।
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जन्माष्टमी पर क्यों चढ़ाया जाता है धनिया की पंजीरी
धनिया की पंजीरी का यह प्रसाद भगवान श्री कृष्ण को बहुत प्रिय है। भोग लगाने के बाद ये प्रसाद के तौर पर लोगों में बांटा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस प्रसाद को ग्रहण करने से श्रीकृष्ण की कृपा उनके भक्तों पर बनी रहती है। इस प्रसाद को खाकर श्रद्धालु इस दिन अपना उपवास भी खोलते हैं।
क्या है धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण को माखन के साथ पंजीरी भी प्रिय है। ऐसे में पूजा के दौरान श्री कृष्ण को पंजीरी का भोग भी लगाया जाता है।
क्या है आयुर्वेदिक महत्व
दरअसल, जन्माष्टमी पर्व वर्षा ऋतु के दौरान आता है। इस दौरान वात, पित्त और कफ की समस्याएं रहती है। साथ ही वायरल भी तेजी से फैलता है। ऐसे में धनिया के सेवन से इन सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। धनिया में कई गुण पाए जाते हैं, जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं। ऐसे में जन्माष्टमी पर धनिया पंजीरी बनाई जाती है।
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक खीरा भगवान श्रीकृष्ण को प्रिय है और खीरा का भोग लगाने से भक्तों के सारे दुख दूर होते हैं। इसलिए आज के दिन ऐसा खीरा लाया जाता है, जिसमें थोड़ा डंठल और पत्तियां लगी होती हैं। जन्माष्ठमी पूजा के दिन खीरे के इस्तेमाल के पीछे की मान्यता है कि जब बच्चा पैदा होता है तब उसको मां से अलग करने के लिए गर्भनाल को काटा जाता है, ठीक उसी प्रकार से जन्माष्टमी के दिन खीरे को डंठल से काटकर अलग किया जाता है। ये भगवान श्री कृष्ण को मां देवकी से अलग करने का प्रतीक माना जाता है। यही वजह है कि ऐसा करने के बाद ही बाल गोपाल की विधि विधान से पूजा शुरू की जाती है।
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