क्यू लगाई जाती है जागर? उत्तराखंड में गोलज्यू महाराज पर श्रद्धालुओं का अटूट विश्वास है. गोलज्यू की मान्यता है कि जब कहीं से न्याय नहीं मिलता, तो गोलज्यू ही न्याय दिलाते हैं. दरअसल गोलज्यू महाराज को न्याय का देवता माना जाता है. आपको बता दे कि जागर उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल मंडल में प्रचलित पूजा पद्धतियों में से एक है. जागर शब्द जगाने या जागने से बना है. जागर के माध्यम से लोग अपने कुल देवता, ग्राम देवता, ईष्ट देवता और लोक देवता का आह्वान करते हैं. यह आह्वान एक मानव शरीर में देवता के अवतरण के लिए किया जाता है. उम्मीद की जाती है कि देवता अवतरित होकर व्यक्ति, परिवार, गांव या समुदायों के कष्ट-परेशानियों का कारण बताएंगे और उसके निवारण के लिए तय विधि भी बताएंगे. देवता से न्याय की अपेक्षा भी की जाती है. परिवार, गांव, समुदाय के छोटे-मोटे झगड़े व विवाद भी अवतरित देवता के सामने रखे जाते हैं.
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देवता का निर्णय दोनों पक्षों को मान्य होता है. इन जागरों में उत्तराखंड के स्थानीय देवताओं गोलज्यू, सैम, हरु, भूमिया,चौमू, कलबिष्ट, भूमिया, लाटू,महासू, नंदा आदि देवताओं का आह्वान किया जाता है। न्याय के देवता कहें जाते हैं गोल्ज्यू जी आपने सही सुना। गोल्ज्यू देवता लोगों की मन्नत तो पूरी करते ही हैं. चितई मंदिर में विराजमान भगवान गोल्ज्यू देवता को न्याय का देवता भी कहा जाता है. कहते हैं कि जिन लोगों कोर्ट कचहरी और पंचयतों से न्याय नहीं मिल पाता, वे यहां विशेष तौर पर आते हैं। यहां आम आदमी और खास हर कोई आशीष लेता है। उत्तराखण्ड के साथ ही नेताओं का इस मंदिर से खास लगाव है. प्रदेश के तमाम बड़े नेता यहां आते रहते हैं. कोई टिकट के लिए अर्जी लगाता है तो कोई जीत की मन्नत मांगता है, जो श्रद्धालु इस मंदिर के महत्व को जानते हैं उनके लिए तो ये आस्था का प्रतीक है ही लेकिन कई एसे भी लोग हैं जो पहली बार मंदिर आए और उन्हें यहां घंटियों और चिट्ठियों का संसार बेहद अनोखा लगा।
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