अल्मोड़ा: गुरुवार दोपहर वन विभाग को सूचना मिली थी कि बिनसर क्षेत्र के बुरुषखोटिया जंगल में आग लग गई है। सूचना पर वन विभाग के आठ कर्मियों की टीम आग बुझाने निकल गई। टीम अल्मोड़ा-बागेश्वर मार्ग से होते हुए घटना स्थल पहुंची। आग तीव्र ढलान में लगी हुई थी। कर्मचारियों ने वाहन को सड़क किनारे खड़ा किया और ढलान में रास्ता बनाते हुए आग के करीब पहुंच गए। इतने में तेज हवा के झौकों ने आग को भड़का दिया। अब आग तेजी से वनकर्मियों की ओर बढ़ने लगी। कुछ ही देर में वन कर्मी चारो और से आग से घिर गए। खड़ी चढ़ाई होने से वह ऊपर नहीं आ पाए। दहकती आग ने आठों को अपनी चपेट में ले लिया। इसी चपेट में महज 17 साल का करन भी शामिल था, जो अब अपने माता-पिता को गहरे जख्म देकर चला गया।
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वही पिता की आंखों से आंसू तक नहीं निकल रहे हैं, वहीं मां अपने लाडले को खोकर बेसुध पड़ी है। मां बार-बार वनाग्नि को कोस रही है। वहीं, छोटा भाई असहाय होकर परिवार की विपदा को देख रहा है। आपको बता दें कि भेटुली आयारपानी निवासी करन ने इसी साल इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की थी। करन की मां और पिता खेतीबाड़ी कर परिवार चलाते हैं। छोटा भाई दसवीं का छात्र है। इस साल करन ने इंटर की परीक्षा पास की तो उसने तय किया अब वह भी घर की आर्थिकी चलाने में परिजनों की मदद करेगा। करन ने बारह पास कर वनाग्नि के दौर में उसने वन विभाग में दैनिक श्रमिक के तौर पर काम करना शुरू कर दिया। रोज करन वनकर्मियों के साथ आग बुझाने के लिए चला जाता। इसी बीच करन के वनविभाग में काम करने को लेकर विवाद भी शुरू हो गया। सवाल उठ रहे है कि नाबालिग को वन विभाग ने कैसे काम पर रखा। वही गुरुवार को भी उसे सूचना मिली कि बिनसर के जंगल में आग लगी है। वह आग बुझाने के लिए घर से निकल गया, लेकिन वापस लौटकर नहीं आया। देर रात करन का शव घर पहुंचने के बाद परिजनों में कोहराम मच गया।
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