लाहौर: पाकिस्तान के आतंकवादी अब्दुल रहमान मक्की का दिल का दौरा पड़ने से अचानक मौत हो गई. मक्की लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद का बहनोई था और मुंबई हमलों के प्रमुख गुनहगारों में से एक था. उसकी मौत अस्पताल में इलाज के दौरान हुई. मक्की का संबंध लश्कर-ए-तैयबा और उसकी राजनीतिक शाखा जमात-उद-दावा से था. वह पाकिस्तान में आतंकवाद के प्रमुख समर्थकों में से एक था। भारत सहित कई देशों ने मक्की को आतंकवादी घोषित किया था और वह भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादियों की सूची में शामिल था. मक्की पर आरोप थे कि उसने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों और आतंकवादी समूहों की मदद की थी. इस आतंकी ने मुंबई हमलों की साजिश रचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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अमेरिका ने इनाम किया था घोषित
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने 2023 में मक्की को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया था. इसके अलावा, अमेरिका ने भी उसे ‘विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी’ (SDGT) करार देते हुए उसकी गिरफ्तारी पर इनाम का ऐलान किया था. पाकिस्तान में मक्की को 2022 में आतंकवादी वित्तपोषण के मामलों में दोषी पाया गया था और उसे जेल भेजा गया था।
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वैश्विक आतंकवादी’ भी घोषित
मई 2019 में मक्की को पाकिस्तान में गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद उसे लाहौर में नजरबंद कर दिया गया था। 2020 में एक पाकिस्तानी अदालत ने उसे आतंकी वित्तपोषण से जुड़े मामलों में भी दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जनवरी 2023 में मक्की को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की ओर से भी ‘वैश्विक आतंकवादी’ भी घोषित किया गया था।
26/11 का साजिशकर्ता
मक्की ने 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के लिए आतंकियों को फंड मुहैया कराया था। हमले में 166 लोग मारे गए थे। हमले के खिलाफ सेना की कार्रवाई में कुल नौ आतंकवादी भी मारे गए थे। इस दौरान एक आतंकवादी आमिर अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा लिया गया था।
भारत में सुरक्षा एजेंसियों की रडार पर था
मुंबई आतंकी हमलों के अलावा मक्की लाल किला हमले में शामिल होने के कारण भारत में सुरक्षा एजेंसियों की रडार पर था। लाल किले पर हमले की घटना को 22 दिसंबर, 2000 को अंजाम दिया गया था। इस हमले में भी मक्की का ही हाथ था। हमले में लश्कर के छह आतंकवादियों ने लाल किले पर धावा बोला था और किले की सुरक्षा कर रहे सुरक्षा बलों पर गोलीबारी की थी।
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